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12 July 2016

बाबा रामेदव बोगस विज्ञापन के मामलेे में एएससीआई पर करेेंगे केस

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उल्‍लेखनीय है कि इसी एएससीआई को बांबे हाई कोर्ट ने विज्ञापन नियामक मानने से इनकार किया है। कोर्ट के एेसे रुख को पतंजलि आयुर्वेद ने कानूनी कार्यवाही का आधार बनाया है। आयुर्वेद का कहना है कि जब कोर्ट ने एएससीआई को गैर कानूनी माना है तो उसेे टिप्‍पणी करने का कोई औचित्‍य नहीं। इसके बाद भी अगर वह आयुर्वेद के विज्ञापनों पर अनुचित टिप्‍पणी करती है तो कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्‍टर आचार्य बालक़ष्‍ण ने बताया कि हमारी कानूनी टीम केस करने की संभावनाआें पर विचार कर रही है। बालक़ष्‍ण ने कहा कि कुछ मल्‍टीनेशनल कंपनियों और एएससीआई ने मिलकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ एक तरह से साजिश है। हम इस पर कानूनी कार्यवाही करने की तैयारी कर रहे हैं।  

एएससीआई ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों में अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों के उत्पादों का ‘अनुचित तरीके से अपमान’ करती है। उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) ने पाया कि पतंजलि ने अपने कच्ची घानी सरसों तेल के विज्ञापन में दावा किया है कि उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों द्वारा बेचे जा रहा सरसों का तेल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्रक्रिया से निकाला गया तेल मिलावटी है और इसमें न्यूरोटॉक्सिन हैक्जेन है। विज्ञापन में इसकी पुष्टि नहीं की गई है। विज्ञापन विनियामक ने पतंजलि के विज्ञापन में उत्पाद के बारे में दावों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर किया गया भ्रामक दावा करार दिया था। 

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TAGS: बाबा रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद, एएससीआई, भ्रामक विज्ञापन, केस, कानून, बांबे हाई कोर्ट, bombay high court, patanjali, baba ramdev, advertisement
OUTLOOK 12 July, 2016
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