बंगाल व असम चुनावः हिस्ट्रीशीटरों की गतिविधियों पर प्रशासन ढीला
इन राज्यों में हजारों गिरफ्तारी वारंट पर असम नहीं किया गया है। अवैध हथियारों की बरामदगी को लेकर भी राज्य सरकारों का रवैया ढीला है। कोलकाता में चुनाव आयोग की फुल बेंच बैठक के दौरान इस बारे में गहरी चिंता जताई गई है। चुनाव आयोग ने इस बैठक में बंगाल और असम के पुलिस-प्रशासन के आला अफसरों के अलावा बिहार, झारखंड, उड़ीसा के पदाधिकारियों के अलावा, केन्द्रीय आबकारी विभाग, सीमा सुरक्षा बल और नेपाल की सीमा की जिम्मेदारी संभाल रहे सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) को भी तलब किया था। जलपाईगुड़ी के पास एक गांव में अभी हाल विस्फोट किए गए और वोटरों को धमकाने के आरोप सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर लगे हैं।
उत्तर बंगाल के इलाकों में असामाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ी हैं। इसे असम चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की तैयारी माना जा रहा है। चुनाव के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय सीमा सील करने की कवायद चल रही है। चुनाव के मद्देनजर सक्रिय हिस्ट्रीशीटरों के नेपाल और बांग्लादेश से आवागमन को लेकर चिंता ज्यादा है। तीन महीने पहले अकेले बंगाल में 31 हजार दागी अपराधी थे, जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए वारंट जारी किया गया था। लेकिन गिरफ्तारियों के मामले में प्रशासन ढीला रहा। 29 हजार वारंट पर अभी भी अमल बाकी है। मात्र 123 हथियार पकड़े जा सके हैं और 150 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किए गए हैं। जबकि, जिला प्रशासनों से मिली रिपोर्ट के आधार पर खुद चुनाव आयोग मानता रहा है कि बंगाल में 70 हजार से ज्यादा अवैध हथियार हैं और विस्फोटक काफी ज्यादा हैं।
इस बीच, असामाजिक तत्वों को लेकर चुनाव आयोग की कवायद के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस की सक्रियता जारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी चुनाव जनसभाओं में लगातार कह रहे हैं कि चुनाव के बाद केन्द्रीय सुरक्षा बल के लोग लौट जाएंगे। लोगों को तो हमारे साथ ही रहना है। ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी कह रहे हैं, चुनाव के बाद सभी को इंच-इंच जवाब दिया जाएगा। कांग्रेस और वाममोर्चा ने चुनाव आयोग को शिकायतें भेजी हैं। कांग्रेस के नेता प्रदीप भट्टाचार्य के अनुसार, तृणमूल प्रमुख और उनके सहकर्मी- लोगों को खूब धमकियां दे रहे हैं। उधर, मेदिनीपुर जिले के साबंग इलाके में कांग्रेस के महासचिव डॉ. मानस भुइयां के जुलूस पर तृणमूल समर्थकों के हमले की शिकायत आयोग से की गई है।