कालाधन बर्बाद होने का दावा साबित हो रहा खोखला, बैंकों में जमा हो रही भारी नकदी
पुराने नोटों को बदलने के लिए तय समय के पूरा होने से तीन सप्ताह पहले यानी शनिवार शाम तक बैंकों में 9.85 लाख करोड़ रुपये कीमत के पुराने नोट जमा हो चुके थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक यह आंकड़ा केंद्र सरकार के उस अनुमान को धता बता रहा है कि नोटबंदी से करीब तीन लाख करोड़ रुपए का काला धन बैंकों में नहीं आएगा। इस तरह यह रकम अर्थव्यवस्था से बाहर हो जाएगी। 30 दिसंबर तक बाकी नोट जमा होने की गति को देखते हुए तीन लाख करोड़ रुपए के इस अनुमान में बड़ी कटौती की जा सकती है।
बताया जाता है कि केंद्र सरकार का आकलन था कि 14.6 लाख करोड़ रुपए के बड़े नोटों की 10 फीसदी रकम बैंकों में नहीं आएगी। इसके चलते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की देनदारी कम हो जाएगी। और यह रकम सरकार के लाभांश के रूप में बच जाएगी। दूसरी ओर पुराने नोटों को बैंकों में लगातार जमा किए जाने की गति बता रही है कि कालेधन वालों ने इसे सफेद करने का तरीका तलाश लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों ने जन-धन खातों में जमा की गई बड़ी रकम के बारे में बताया। शुरुआती जांच में पता चला है कि लोगों ने पैन नंबर देने से बचने के लिए जनधन खातों में एक बार में 49 हजार रुपये ही जमा किए। नियम के मुताबिक 50 हजार या इससे ज्यादा रकम एक बार में जमा करने पर बैंक को पैन नंबर बताना होता है।
काला धन रखने वालों की चालाकियों से बचने के लिए सरकार ने कई बार मियमों में बदलाव किए। आयकर एक्ट में नया बदलाव इसी सिलसिले में है। अधिकारियों के मुताबिक यह सबकुछ शतरंज के खेल की तरह होने लगा है। सरकार ने जन-धन खातों से महीने भर में 24 हजार रुपए ही निकाल सकने का नियम भी बनाया। अघोषित आय पर भारी जुर्माना और टैक्स का प्रावधान भी बनाया। वहीं कालेधन वालों ने भी बचाव के लिए हर मुमकिन तरीके अपनाने नहीं छोड़े हैं।