क्या है छोटा राजन की गिरफ्तारी का राज
वह खुद गिरफ्तार होकर भारत आना चाहता था ताकि यहां वह सुरक्षित रह सके। क्योंकि राजन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का खबरी भी रहा है और डोभाल ने आश्वस्त किया है कि भारत में उसे कुछ नहीं होगा। वैसे भी साल 2005 में मुंबई पुलिस ने राजन के दो साथियों विकी मलहोत्रा ओर फरीद तानाशाह को जब गिरफ्तार किया था तब डोभाल उनके साथ थे। राजन पर कई अपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ करीब 22 अपराधिक मामले चल रहे हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक राजन को गिरफ्तारी से भारत कई निशाना साधता चाहता है। इंडोनेशिया से प्रत्यर्पण संधि के बाद राजन को भारत लाना आसान होगा और उसके बाद भारत सरकार दाऊद के कई राज खुलवा सकती है। जिसके जरिए पाक को चेतावनी देना आसान होगा।
अगर सूत्रों पर भरोसा करें तो राजन के पास आतंकी गतिविधियों से जुड़ी कई जानकारियां हैं जिसका इस्तेमाल भारत समय आने पर कर सकता है। बताया जा रहा है कि राजन की गिरफ्तारी के समय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह इंडोनेशिया में थे और भारत लाने संबंधी जरुरी दस्तावेज पर दस्तखत कर रहे थे। लंबे समय तक दाऊद के गैंग में रहे राजन ने 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के बाद अपना गैंग बना लिया। छोटा शकील और छोटा राजन में झगड़ा चल रहा था, छोटा शकील ने दाऊद का गैंग नहीं छोड़ा। दाऊद का साथ छोडऩे के बाद राजन इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया में अपना ठिकाना बनाता रहा। दाऊद ने राजन पर हमला भी करवाया था लेकिन वो नाकाम रहा। भारत की पुलिस को छोटा राजन की कई सालों से तलाश थी और इंटरपोल ने गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।
सूत्रों के मुताबिक इस बीच राजन ने गिरफ्तारी के लिए भारत सरकार के सामने यह शर्त रखी थी कि उसे भारत में रखा जाए। खुफिया अधिकारियों के जरिए सरकार तक राजन की मंशा पहुंचाई गई। सरकार की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद ही राजन स्वेच्छा से गिरफ्तार हुआ। इससे पहले भारतीय खुफिया एजेंसी ने कई बार राजन के ठिकानों के बारे में इंटरपोल को जानकारी दी लेकिन राजन हर बार चकमा देता रहा। राजन अपनी असल पहचान छुपाकर कुमार मोहन (उम्र 55 साल) के रूप में ऑस्ट्रेलिया में रह रहा था। उसका पासपोर्ट नंबर 9273860 था। इस दौरान वह आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के बीच आता-जाता रहा। जब उसे इस बात का पक्का यकीन हो गया कि अब भारत सरकार उसे सहयोग करेगी तब उसने अपने बारे में खुफिया एजेंसियों को जानकारी दी। खुफिया एजेंसियों की जानकारी के बाद इंडोनेशिया में उसकी गिरफ्तारी हुई।
दूसरी तरफ चर्चा इस बात की भी है कि राजन दाऊद गैंग से बचने के लिए गिरफ्तार हुआ है। राजन पर कई बार जानलेवा हमला हो चुका है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि राजन का भी गैंग कमजोर नहीं है। 1995 में रेडकॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद से राजन ने अपना ठिकाना आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के अलावा बैंकाक और सिंगापुर में भी बनाया था। जिसके बारे में खुफिया एजेंसियों को जानकारी तो थी लेकिन इस दौरान उसने भारत में दाऊद के गैंग पर निशाना साधता रहा। इसलिए खुफिया एजेंसी उसे सहयोग करती रही। दाऊद के ठिकानों के बारे में जानकारी राजन के ही जरिए सरकार को मिलती रही।
राजन और दाऊद के बीच कई बातों को लेकर मतभेद रहा। राजन मुंबई बम ब्लास्ट के खिलाफ था लेकिन दाऊद ने इस घटना को अंजाम दिया। मुंबई में अभी भी राजन के कई सहयोगी दाऊद के लोगों के बारे में जानकारी रखते हैं। सूत्र बताते हैं कि राजन की गिरफ्तारी से भारतीय खुफिया एजेंसियों को कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं। साल 2011 में, वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के मामले में छोटा राजन का ही नाम सामने आया। सूत्रों के मुताबिक राजन इस बात से नाराज था कि डे उसके बारे में कई जानकारियां दाऊद के लोगों को दे रहा है। हालांकि बाद में राजन ने डे के मारे जाने पर अफसोस जताया था।