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08 September 2016

केजरीवाल सरकार : हाईकोर्ट नेे 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किया

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इसके खिलाफ लगाई याचिका पर केंद्र सरकार ने अदालत के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। केंद्र ने कहा कि कानून के मुताबिक दिल्ली में 21 संसदीय सचिव नहीं रखे जा सकते हैं। मौजूदा कानून में केवल एक संसदीय सचिव रखने का प्रावधान है, जो केवल मुख्यमंत्री के अंतर्गत काम करेगा।

दिल्‍ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की खंडपीठ के समक्ष केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से पेश वकील जसमीत सिंह ने कहा कि संसदीय सचिव के पद का उल्‍लेख न तो भारत के संविधान में किया गया है और न ही दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य घोषित करना) अधिनियम 1993 में इस बाबत कुछ कहा गया है। नियम के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री को केवल एक संसदीय सचिव रखने का प्रावधान है। लिहाजा, दिल्ली सरकार के 13 मार्च 2015 के आदेश के अनुसार बनाए गए 21 संसदीय सचिव कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं।

यह याचिका अदालत के समक्ष एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा लगाई गई थी। हाई कोर्ट ने याचिका पर गृह मंत्रालय को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि अपनी गलती को सही साबित करने के लिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य घोषित करना) अधिनियम 1993 को संशोधित कर इसे कानूनी रूप देने का भी प्रयास किया, परन्तु राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया।

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इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि 21 संसदीय सचिवों पर अतिरिक्त खर्चा नहीं किया जा रहा है। विधानसभा में इनके लिए कोई अतिरिक्त पदक्रम की व्यवस्था नहीं की गई है। उक्त सचिवों को गोपनीय दस्तावेज से संबंधित काम नहीं सौंपा जाता है। उनका काम केवल मंत्रियों को सहयोग करना है। 

 

 

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TAGS: केजरीवाल, दिल्‍ली, सरकार, हाईकोर्ट, 21 संसदीय सचिव, arvind kejariwal, delhi, government, delhi high court, 21 parliament secretary
OUTLOOK 08 September, 2016
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