पेटीएम के साथ 48 ग्राहकों ने की 6.15 लाख की धोखाधड़ी, सीबीआई में मामला दर्ज
पेटीएम देश की सबसे बड़ी मोबाइल वॉलेट कंपनी है और इसके पास 15 करोड़ से ज्यादा एक्टिव ग्राहक हैं। इसके जरिए ई-कॉमर्स और बिल पेमेंट किए जा सकते हैं। सरकार के नोटबंदी के फैसले बाद जब लोग परेशान हो गए तो उन्होंने ई-वॉलेट का विकल्प अपनाया। हर रोज पेटीएम से हजारों लोग जुड़ने लगे, जिसमें आम लोगों के साथ छोटे दुकानदार भी शामिल हैं। लेकिन अब ये दुकानदार परेशान हैं। कभी इनके पैसे फंस जा रहे हैं तो कभी सप्लायर पेटीएम से भुगतान लेने से मना कर देता है।
बीते बुधवार को कुछ देर के लिए पेटीएम का सर्वर डाउन रहा, जिसके चलते लोगों को भुगतान लेने में दिक्कतें रही और अब पेटीएम ने अपने लुटने का दावा किया है। यह अनूठी बात है कि किसी कंपनी की शिकायत पर ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है। आमतौर पर वह केंद्र सरकार, उच्च्तम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही मामला दर्ज करती है। सीबीआई ने दिल्ली के कालकाजी, गोविंदपुरी व साकेत में रहने वाले 15 ग्राहकों तथा पेटीएम की पैतृक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
कंपनी के विधि प्रबंधक एम शिवकुमार ने इस बारे में शिकायत की है। इसमें कहा गया है कि कंपनी किसी ग्राहक को मिले खराब उत्पाद के लिए भुगतान करती है और खराब उत्पाद को मंगवाकर वापस मर्चेंट के पास भेजती है। यह काम कंपनी के कुछ चुनिंदा ग्राहक सेवा अधिकारियों द्वारा किया जाता है जिन्हें विशिष्ट आईडी व पासवर्ड दिए जाते हैं। शिकायत के अनुसार 48 मामलों में पाया गया कि ग्राहकों को सामान की आपूर्ति हो गई। इसके बावजूद उन्हें रिफंड किया गया। यानी ग्राहकों को उनके ऑर्डर का सामान भी मिला और रिफंड भी, कंपनी को लगता है कि इसमें गड़बड़ है और जानबूझकर ऐसा कर कंपनी को नुकसान पहुंचाया गया है।
हाल ही में चिपसेट मेकर कंपनी क्वालकॉम ने कहा था कि भारत में कोई भी मोबाइल ऐप सुरक्षित नहीं है। कंपनी का कहना है कि भारत में कोई भी ई-वॉलेट और मोबाइल बैंकिंग ऐप्लिकेशन हार्डवेयर लेवल सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं करता है जिससे ऑनलाइन लेन-देन को अधिक सुरक्षित रखा जा सके।
क्वालकॉम के सीनियर डायरेक्टर प्रॉडक्ट मैनेजर ने कहा था कि दुनिया भर के अधिकतर बैंकिंग और वॉलेट ऐप्स हार्डवेयर सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं करते. वे पूरी तरह एंड्रॉयड मोड में चलते हैं और यूजर्स के पासवर्ड को आसानी से चुराया जा सकता है. यूजर्स के फिंगरप्रिंट्स को भी कैप्चर किया जा सकता है. भारत में डिजिटल वॉलेट्स और मोबाइल बैंकिंग ऐप्स के लिए यह बड़ी चिंता है।