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04 August 2016

गुजरात सरकार को झटका, कोर्ट ने सवर्ण आरक्षण पर लगाई रोक

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गुजरात हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अनारक्षित श्रेणी के तहत दस फीसदी आरक्षण अध्यादेश को गुरुवार को रद्द कर दिया। आंदोलनरत पटेल समुदाय को शांत करने के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया था। न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वी. एम. पंचोली की खंडपीठ ने एक मई को जारी अध्यादेश को अनुपयुक्त और असंवैधानिक बताते हुए कहा कि सरकार के दावे के मुताबिक इस तरह का आरक्षण कोई वर्गीकरण नहीं है बल्कि वास्तव में आरक्षण है।

अदालत ने यह भी कहा कि अनारक्षित श्रेणी में गरीबों के लिए दस फीसदी का आरक्षण देने से कुल आरक्षण 50 फीसदी के पार हो जाता है, जिसकी उच्चतम न्यायालय के पूर्व के निर्णय के तहत अनुमति नहीं है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने ईबीसी को बिना किसी अध्ययन या वैज्ञानिक आंकड़े के आरक्षण दे दिया।

राज्य सरकार के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि अपने आदेश पर स्थगन दे ताकि वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें। इसके बाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश पर दो हफ्ते का स्थगन दे दिया। याचिकाकर्ता दयाराम वर्मा, राजीवभाई मनानी, दुलारी बसारजे और गुजरात अभिभावक संगठन ने अध्यादेश को अलग-अलग चुनौती दी थी। अध्यादेश के तहत अनारक्षित श्रेणी के तहत ऐसे उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिनके परिवार की वार्षिक आय छह लाख रूपये है। उनकी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई।

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OUTLOOK 04 August, 2016
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