गलत विज्ञापन पर बाबा रामदेव के पतंजलि पर 11 लाख का जुर्माना
अदालत ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को गलत प्रचार का दोषी पाया गया क्योंकि कंपनी ने दर्शाया है कि उसके उत्पादों का उत्पादन उसकी अपनी इकाइयां करती हैं जबकि उनका निर्माण कहीं और होता है।
जिला खाद्य सुरक्षा विभाग ने वर्ष 2012 में कंपनी के खिलाफ अदालत में एक मामला दर्ज कराया था। यह मामला पतंजलि द्वारा उत्पादित सरसों के तेल, नमक, अनानास जैम, बेसन एवं शहर के रुद्रपुर प्रयोगशाला में गुणवत्ता परीक्षण में असफल रहने के बाद दर्ज कराया गया था।
पतंजलि का टर्नओवर वर्तमान में 5 हजार करोड़ है, अगले वित्तीय वर्ष तक इसे 10 हजार करोड़ करने की तरफ बाबा रामदेव कदम बढ़ा रहे हैं।
विज्ञापन मामले में कोर्ट ने कहा कि यह सीधे तौर पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम-2006 की धारा 52-53 और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड (पैकेजिंग एंड लेबलिंग रेग्युलेशन-2011) की धारा 23.1(5) का उल्लंघन है।
इस मामले से जुड़े नमूने 16 अगस्त 2012 को लिए गए थे। जिला खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से हरिद्वार प्रभारी योगेंद्र पांडेय ने कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर से 'पतंजलि' द्वारा उत्पादित बेसन, शहद, कच्ची घानी का सरसों का तेल, जैम एवं नमक के सैंपल भरे थे, जिन्हें जांच के लिए रुद्रपुर लैब में भेजा गया था।
रिपोर्ट में उत्पादों के सैंपल फेल पाए गए। पिछले चार सालों से कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के दौरान 'पतंजलि' की ओर से भी तथ्य रखे गए, जिन्हें कोर्ट ने अपर्याप्त मानते हुए फैसला सुनाया।
'पतंजलि' को जुर्माने की यह धनराशि महीनेभर के अंदर जमा करानी होगी, साथ ही भविष्य में सुधार न करने पर जिला खाद्य सुरक्षा विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह आदेश एक दिसंबर 2016 को दिया था पर सार्वजनिक अब जाकर हुआ।