देश में नहीं थम रहा भ्रष्टाचार! डेमोक्रेसी के बाद अब करप्शन इंडेक्स में दो पायदान फिसला
डेमोक्रेसी इंडेक्स में 10 स्थान फिसलने के बाद अब भ्रष्टाचार के मामले में भी भारत दो स्थान फिसल गया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भ्रष्टाचार अनुभव सूचकांक (सीपीआई) 2019 में भारत का दुनिया के 180 देशों में 80वां स्थान है। वर्ष 2018 में भारत 78वें पायदान पर था।
दरअसल, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान इस सूचकांक की रिपोर्ट को जारी किया। सूचकांक में डेनमार्क और न्यूजीलैंड शीर्ष स्थान पर रहे हैं यानी वे सबसे ईमानदारी वाले देश हैं। वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2019 की 180 देशों की सूची में पाकिस्तान 120 नंबर पर है, जबकि डेनमार्क पहले पायदान पर है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान इस सूचकांक को जारी किया। सूचकांक में ऊपर रहने का मतलब है भ्रष्टाचार कम होना और सूची में जो देश जितना ही नीचे हैं वहां भ्रष्टाचार उतना ही ज्यादा है।
बांग्लादेश में भ्रष्टाचार बहुत बड़े पैमाने पर फैला हुआ है और वह इस सूची में महज 26 अंकों के साथ 146वें नंबर पर है। निष्पक्ष रूप से वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार का आंकलन करने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी हालिया सर्वे के मुताबिक, भारत का इंडेक्स में कुल स्कोर 41 रहा।
2017 के इंडेक्स में 81वें स्थान पर था भारत
2017 के इंडेक्स में भारत 40 अंक के साथ 81वें स्थान पर था। इससे पहले 2016 में भारत इस इंडेक्स में 79वें स्थान पर था। भारत के साथ-साथ चीन, घाना, बेनिन और मोरक्को भी 80वें नंबर पर हैं। इस सूची में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के मामलों में 180 देशों को रखा गया था। फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्जमबर्ग इस सूचकांक में शीर्ष 10 में शामिल रहे हैं।
बता दें कि यह सूची 0 से 100 तक के अंकों के आधार पर बनती है। शून्य अंक हासिल करने वाला देश सबसे भ्रष्ट और 100 अंक हासिल करने वाला सबसे ईमानदार होगा।
दो-तिहाई देशों का स्कोर 50 से कम
ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स के मुताबिक दो-तिहाई देशों का स्कोर 50 से कम है और औसत स्कोर 43 है। 2012 से लेकर अब तक केवल 22 देशों ने भ्रष्टाचार को कम किया है। इसमें एस्टोनिया, ग्रीस और गुयाना शामिल है। 21 देशों के स्कोर में गिरावट दर्ज की गई जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और निकारागुआ शामिल है। जी-7 देशों के चार देशों के स्कोर में कमी दर्ज की गई। इसमें कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है। जर्मनी और जापान के देशों के स्कोर में कोई सुधार नहीं हुआ। इटली के स्कोर में एक अंक का सुधार हुआ।