भारत के हेल्थ सेक्टर में अधिक निवेश होगा तभी विकास बरकरार रहेगा : डब्ल्यूएचओ
भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डाॅ हेंक बेकेडैम ने पीटीआई भाषा से कहा, हम जानते हैं कि देशों को समृद्ध होने के लिए एक स्वस्थ जनसंख्या की जरूरत होती है। भारत की आर्थिक वृद्धि को बरकरार रखने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में निवेश बढ़ाना जरूरी है। स्वास्थ्य में निवेश का अर्थ भारत की विकास गाथा में निवेश करना है। उन्होंने सुझाव दिया, इसलिए हमें सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं :यूएचसी: और सतत विकास लक्ष्यों :विशेषकर स्वास्थ्य लक्ष्य: की दिशा में प्रगति को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
बेकेडैम के अनुसार, हालांकि भारत ने बीते कुछ समय में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में व्यापक प्रगति की है, फिर भी 6 करोड़ लोग स्वास्थ्य सेवा के बिल भरने के कारण गरीबी में हैं। एेसा मुख्य तौर पर स्वास्थ्य में देश के कम निवेश, अपर्याप्त वित्तीय सुरक्षा और क्षमता से अधिक खर्च के कारण है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग आर्थिक दिक्कतों के कारण या तो स्वास्थ्य सेवाएं लेते ही नहीं हैं या फिर इसमें देरी करते हैं।
इस संदर्भ में डब्ल्यूएचओ ने सरकार के साथ काम करने के लिए कुछ कदमों का प्रस्ताव दिया है। इन कदमों का उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्वास्थ्य को एजेंडे में उपर रखना है। बेकेडैम ने कहा कि निवेश के अलावा महामारियों और नई बीमारियों की पहचान एवं प्रतिक्रिया की व्यवस्था को मजबूत करना, प्रभावी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाना और मजबूत निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली सुनिश्चित करना जरूरी है।
उन्होंने एचआईवी, तपेदिक और मलेरिया से निपटने में और मातृ-शिशु मृत्युदर कम करने के मामले में भारत की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के सामने बड़ी चुनौती जनता को स्वास्थ्य क्षेत्र के बिलों के कारण गरीब हो जाने से बचाने की है।
भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि ने कहा, इन सभी के लिए निवेश बढ़ाने की जरूरत है। सार्स, ए:एच1एन1, एच5एन।, नेपाल भूकंप और इबोला जैसे वैश्विक मामालें में एेसा ही देखा गया है। निरीक्षण क्षमता को मजबूत करना आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। हम पर अब भी संचारी रोगों का भारी बोझ है।
उन्होंने कहा कि हमें गैर संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से और अधिक निवेश की जरूरत है।
बेकेडैम ने कहा कि भारत जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के खतरे का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, गैर संचारी रोग का एजेंडा जटिल है और इसके लिए पूरी सरकार तथा पूरे समाज के माध्यम से समन्वित बहुपक्षीय प्रतिक्रिया के आवान की जरूरत है। भाषा एजेंसी