21 संसदीय सचिव मामला : चुनाव आयोग ने 11 बिंदुओं पर फिर मांगे जवाब
सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से मंगाई गई जानकारी का जवाब तैयार करने में विभाग जुटे रहे। चुनाव आयोग के निदेशक (कानून) विजय कुमार पांडेय ने मुख्य सचिव के नाम चिट्ठी भेजी है। इसमें लिखा है कि 5 सितंबर को 66 पेज की जानकारी सरकार से मिली। लेकिन, साफ सुथरी और व्यवस्थित नहीं है, इसलिए वापस भेज रहे हैं। मुख्य सचिव सभी बिंदुओं पर विभाग, स्वयत्त निकाय, निगम, प्राधिकरण, पीएसयू समेत सभी सुविधाओं की विस्तृत जानकारी भेजें। चुनाव आयोग ने 21 संसदीस सचिवों के बैठक में शामिल होने और उसमें लिए गए फैसलों के अलावा बैठकों के समय और हाजिरी शीट भी मांगी है। संसदीय सचिवों ने किसी फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं तो उसकी कॉपी भी मांगी गई है। चुनाव आयोग ने पूछा है कि सामान्य प्रशासन विभाग मंत्री की तरफ से पोटा केबिन बनाने के आदेश कब दिया गया।
उन केबिन में संसदीय सचिव, ओएसडी या अन्य स्टाफ के बैठने की जानकारी भी मांगी है। विधानसभा में संसदीय सचिव या विधायकों के कमरा आवंटन की नीति की कॉपी, 21 संसदीय सचिवों को विस में कमरा आवंटन आदेश और फिर उस आवंटन को ठंडे बस्ते में डालने केआदेश की कॉपी भी मांगी गई है। सूत्र बताते हैं कि विधायकों और संसदीय सचिवों को कार्यालय आवंटन और अन्य तरह की सुविधाएं दिए जाने संबंधी कुछ जानकारी सामने आ रही हैं। इसलिए एक जैसे प्रारूप में जानकारी मंगाई गई है।
ऐसा जानकारी मिली थी कि कुछ विधायकों को संसदीय सचिव के तौर पर नहीं, बल्कि विधायक के तौर पर कार्यालय की जगह दी गई। किस नीति के तहत आवंटन किया गया, उसकी कॉपी दें। अगर संसदीय सचिव बनने के बाद विधायकों को ऑफिस आवंटित किया गया तो किस विभाग, निगम, स्वायत्त संस्था ने किया। क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम, 1991 में संसदीय सचिव के पद को दिया गया या रूल्स ऑफ बिजनेस ऑफ जीएनसीटीसी में कहीं दिया गया है तो उसकी कॉपी सौंपें। दिल्ली विधानसभा के सदस्यों को आयोग्य ठहराकर हटाने वाले अधिनियम, 1997 के अलावा अधिनियम में 2006 में किए गए संशोधन और फिर आप सरकार की तरफ से 2015 में विस में पास बिल की कॉपी भी मांगी है। आप सरकार की तरफ से सदस्यों को अयोग्य ठहराकर हटाने वाले अधिनियम, संशोधन, 2015 को पेश किए जाने और पास किए जाने की तारीख के साथ वर्तमान कानूनी स्थिति की जानकारी भी मांगी है।