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25 April 2017

नक्‍सली क्यों बने सड़कों के दुश्मन, क्यों हो रहे हैं जवानों पर हमले?

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कहा जा रहा है कि करीब 300  नक्सलियों  ने  सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया।  इनमें काफी  तादाद में महिला नक्सली थीं। नक्सलियों ने  पहले गांववालों को  लोकेशन का पता करने के लिए भेजा और फिर हमला बोला।" घटना में कुछ नक्सलियों के मारे जाने की खबर आ रही है  लेकिन उसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है। बता दें कि ये वही इलाका है, जहां 2010 में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे।

दोरनापाल है नक्‍सलियों का गढ़

सुकमा इलाका , खासकर दोरनापाल का क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ है।  सड़क बनने से फ़ोर्स का मूवमेंट बढ़ेगा, साथ ही लोगों की आवाजाही भी बढ़ जाएगी , नक्सली यह नहीं चाहते।  इस कारण से वे सड़क निर्माण का विरोध कर रहे है।  सूत्रों  की माने तो  आज के हमले की योजना नक्सलियों ने एक हफ्ते पहले कर ली थी।  इसके लिए नक्सलियों ने नारायणपुर, बड़गांव ( कांकेर ), दंतेवाड़ा और सुकमा के जंगलों ने मीटिंग की थी।  मीटिंग में बस्तर इलाके में अपना वर्चस्व कायम करने और हथियार लूटने के लिए जवानों पर हमले की रणनीति बनाई थी।  इसमें वे सफल भी हुए।  कहा जा रहा है नक्सलियों ने जवानों के ए. के 47, हेण्ड ग्रेनेड , वाकी- टाकी,रॉकेट लांचर व पिट्टू काफी संख्या में ले गए है। 

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11 मार्च को भी हुआ था हमला

सुकमा में 11 मार्च को भी नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया था। इस हमले में 12 जवान शहीद हो गए थे। नक्सली जवानों के हथियार भी लूट ले गए थे।  पिछले महीने घटना घटित होने के बाद भी उसी इलाके में नक्सली बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल हो गए , ऐसे में इसे बड़ी इंटेलिजेंस चूक मानी जा रही है।  बस्तर के एक पुलिस अधिकारी ने माना कि आज की घटना बड़ी चूक का नतीजा है।  सीआरपीएफ के आला अफसर कल आ रहे है , फिर समीक्षा होगी , तभी सारी स्थिति- परिस्थितियों का खुलासा होगा।  नक्सल समस्या के जानकारों का कहना है कि सीआरपीएफ  व लोकल पुलिस में तालमेल न होने की वजह से  यह घटना हुई।  सीआरपीएफ की 74 वीं बटालियन के सभी जवानों को एंटी-नक्सल ऑपरेशन में तैनात कर दिया गया है। --रायपुर से रवि भोई

 

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TAGS: सुकमा, नक्‍सली, हमला, रमन सिंह, sukma, naxal, raman singh
OUTLOOK 25 April, 2017
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