पिक्चर का प्रमोशन भले ही मत छोड़ो, ट्विटर पर तो परिजनों को संवेदना दे दो हेमा जी
इन दोनों के पास इतना समय नहीं की वो मथुरा जाकर पुलिस अधिकारियों के परिवार को ढांढस बंधा सके। अखिलेश यादव ने 20 लाख का मुआवजा जरुर दिया है लेकिन मीडिया इसे भी कम बता रहा है। इससे पहले प्रतापगढ़ के कुंडा में डीएसपी जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी। मथुरा और प्रतापगढ़ की यह दोनों घटनाएं लगभग एक जैसी हैंं। समाज में ऐसी दोनों घटनाओं के लिए कोई जगह नहीं। लेकिन सरकार का चरित्र दोनों घटनाओं में बंटा हुआ नजर आ रहा है।
अगर मथुरा में किसी अल्पसंख्यक अधिकारी की मौत हाेेती तो हो सकता है अखिलेश का मुआवजा भी अधिक होता। वैसे सूबे में हिंसक घटनाओं में मारे गए अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के लिए सपा सरकार मुआवजा ज्यादा ही देती है। इन मामलों में वह मकान, सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपए तक का मुआवजा देती है। वहीं मथुरा हिंसा में महज 20 लाख का मुआवजा। एसपी सिटी मुकुल की मां वैसे भी कह चुकी हैं कि वह इस मुआवजा को लेकर क्या करेंगी। उन्हेंं तो अपना बेटा वापस चाहिए। अभागिन मां की यह मंशा पूरी नहीं हो सकती। क्योंकि यह इस बेरहम दुनिया में संभव नहीं। सांसद हेमा मालिनी की जो हिंसा के बाद अब तक मथुरा नहीं आई हैं। यहां तक कि उन्होंने ट्विटर पर भी घटना को लेकर संवेदना व्यक्त नहीं की है। वह अपनी पिक्चर की प्रमोशन में व्यस्त हैं।