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14 August 2016

प्रभु का प्रस्‍ताव स्‍वीकार, 92 साल बाद अब रेल बजट पेेश नहीं होगा

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प्रभु ने पीटीआई-भाषा से कहा, मैंने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा था। यह रेलवे के हित में होगा और देश के भी हित में होगा। हम तौर तरीकों पर काम कर रहे हैं। रेलवे को सब्सिडी पर 32 हजार करोड़ रूपये के वार्षिक खर्च के साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से करीब 40 हजार करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा।

इसके अतिरिक्त, परियोजनाओं के पूरा होने में विलंब का परिणाम लागत में 1.07 लाख करोड़ रूपये की बढ़ोतरी के रूप में निकला और चालू 442 रेल परियोजनाओं पर आगे काम के लिए 1.86 लाख करोड़ रूपये की जरूरत है।

यदि विलय होता है तो भारतीय रेलवे को वार्षिक रूप से लाभांश अदा करने से मुक्ति मिल जाएगी जो उसे हर साल सरकार की ओर से व्यापक बजट सहायता के बदले में देना पड़ता है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अलग से रेल बजट के लगभग एक सदी पुराने चलन को खत्म करने का कदम मोदी सरकार के सुधार का एजेंडा है। 

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विलय के साथ यात्री किराया बढ़ाने का फैसला करना वित्त मंत्री का काम होगा। प्रभु ने नौ अगस्त को राज्यसभा को भी बताया था कि उन्होेंने वित्त मंत्री को लिखा है कि रेलवे और देश की अर्थव्यवस्था के भी दीर्घकालिक हित में रेल बजट का विलय आम बजट में किया जाए। अखिल भारतीय रेलकर्मी संघ के महासचिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि विलय से रेल मंत्रालय की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। लेकिन हमें देखना होगा कि किस तरह का विलय होगा। भाषा एजेंसी 

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TAGS: रेल मंत्रालय, सुरेश प्रभु, आम बजट, रेल बजट, अरुण जेटली, 92 साल, rail budget, aam budget, arun jaitely, suresh prabhu, 92 years
OUTLOOK 14 August, 2016
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