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02 November 2017

अधिकारियों की लापरवाही से फटा एनटीपीसी का बॉयलर

सूत्रों के अनुसार, 500 मेगावाट का यूनिट समय से करीब 6 महीना पहले ही मार्च 2017 में शुरू कर दिया गया। मई 2017 में व्यवसायिक उत्पादन भी शुरू हो गया, जबकि अभी भी यहां काम चल रहा था। हादसे के दो दिन पहले से ही यूनिट के बॉयलर में तकनीकी खामी देखी जा रही थी। लेकिन न तो खामी दूर की गई और न ही काम रोकने की किसी ने जरूरत समझी।  यूनिट को मैनुअली चलाया जा रहा था। मैनुअल हैंडलिंग के कारण बॉयलर सेफ्टी प्रोटोकॉल को फॉलो नहीं किया गया। मजदूरों की मानें तो कोयला जलने के बाद राख निकलने के लिए भी कोई जगह नहीं बनी थी जिसके कारण चेंबर में राख भर गई थी। सूत्रों के मुताबिक प्रमोशन के चक्कर में कुछ अधिकारियों ने जिस तरह सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर जल्दबाजी की उससे हादसे का अंदेशा शुरू से ही बना हुआ था।

 आल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस हादसे के बाद देश के सभी थर्मल पावर प्लांट की ‘सुरक्षा ऑडिट’ की मांग की है। फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने हेतु ‘सुरक्षा ऑडिट’ अनिवार्य है, क्योंकि देश भर के करीब-करीब सभी थर्मल पावर प्लांट में एक ही तरह के संयंत्र एवं प्रौद्योगिकी इस्तेमाल होती है। उन्होंने हादसे की निष्पक्ष जांच की भी मांग की है। 

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TAGS: NTPC, Unchahar plant, Blast, एनटीपीसी, बॉयलर
OUTLOOK 02 November, 2017
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