पीएम मोदी ‘मन’ की नहीं, ‘मनमानी बात’ करते हैं : मेधा
मेधा ने कहा कि सरदार सरोवर बांध के प्रभावितों को लेकर केंद्र व राज्य सरकार गंभीर नहीं है। उच्च व सर्वोच्च न्यायालयों के निर्देशों के बाद भी बांध की ऊंचाई बढ़ाई गई है। इससे प्रभावितों का आंकड़ा बढ़ रहा है। नर्मदा के डूब प्रभावित इलाके राजघाट में अनशन कर रहीं मेधा पाटकर ने पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को एक पत्र लिखकर उनसे भी सवाल किया है कि वे खुद नर्मदा के बड़े संरक्षक कहलाते हैं, नर्मदा समग्र नाम से उनका संगठन भी काम करता है, तब क्या वे नर्मदा की इस तरह ही बर्बादी की अनुमति देंगे। मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि होने के नाते वे इस दिशा में क्या कदम उठाएंगे।
मेधा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से पहले के प्रधानमंत्रियों ने कई बार नर्मदा आंदोलन से जुड़े लोगों से सीधे संवाद किया, मगर मोदी इस पर बात करने को तैयार नहीं हैं। इसके लिए कई बार उनसे संपर्क किया गया, उसके बाद भी वे सीधे संवाद करना तो दूर, पत्र का जवाब भी केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के जरिए दे रहे हैं।
मेधा ने कहा कि पीएम मोदी सरदार सरोवर के प्रभावितों की मुसीबत को सुनना ही नहीं चाहते। नर्मदा बचाओ आंदोलन के पत्र का केंद्र सरकार की ओर से जो जवाब दिया गया है, उसमें दर्ज किए गए आंकड़ों को भी उन्होंने सवाल के कटघरे में खड़ा किया। मेधा का आरोप है कि केंद्र की ओर से जो जवाब उनके पास आया है, वह सालों पूर्व लिखे गए पत्र के अंशों को कट एंड पेस्ट करके भेज दिया गया है। यह कोई नया पत्र नहीं है। इससे जाहिर होता है कि व्यवस्था इस मानवीय समस्या के प्रति कितनी असंवेदनशील है।