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24 August 2016

नौसेना की पनडुब्बी परियोजना के संवेदनशील दस्तावेज लीक

स्कॉरपीयन क्लास पनडुब्बी कालवरी का ट्रॉयल। (फाइल फोटो)

फ्रेंच हथियार निर्माण कंपनी डीसीएनएस की मदद से मुंबई के मझगांव डॉक पर छह पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है। इनमें से पहली स्कॉरपीयन क्लास पनडुब्बी कालवरी का मई 2016 में ट्रॉयल हो चुका है। पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर भारत के रक्षा मंत्रालय और डीसीएनएस के बीच पिछले साल 350 करोड़ अमेरिकी डॉलर (23 हजार चार सौ करोड़ रुपए) का करार हुआ था। इन पनडुब्बियों में इस्तेमाल किए जा रहे 30 फीसद यंत्र भारत में बनाए गए हैं। बाकी की आपूर्ति डीसीएनएस ने की है। फ्रांस की इस कंपनी के पास भारत के अलावा मलेशिया, चिली और ऑस्ट्रेलिया के लिए नई जनरेशन की पनडुब्बियां बनाने का कॉन्ट्रैक्ट है।

`द ऑस्ट्रेलियन’ की वेबसाइट पर दस्तावेज लीक के मामले में रक्षामंत्री ने बुधवार की सुबह प्रतिक्रिया दी, `रात 12 बजे मुझे दस्तावेज लीक होने के बारे में जानकारी मिली। ऐसा लग रहा है कि यह हैकिंग का मामला है।’ नौसेना के एक अधिकारी के अनुसार, यह हैकिंग भारत के बाहर की गई है। हालांकि, नौसेना का दावा है कि इससे खास नुकसान नहीं होगा। `द ऑस्ट्रेलियन’ की वेबसाइट के अनुसार, 2011 में फ्रांस में भी दस्तावेज लीक हुए थे। डीसीएनएस ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस प्रकरण की वह अपने स्तर पर जांच कराएगी और पता करेगी कि दस्तावेज किस कदर संवेदनशील हैं। भारतीय नौसेना ने दस्तावेज जारी कर कहा है कि लीक देश के बाहर हुआ लगता है। डीसीएनएस के दस्तावेजों को अति गोपनीय (रेस्ट्रिक्टेड स्कॉरपीयन इंडिया मार्क किया गया था।) श्रेणी में रखा गया था। माना जा रहा है कि इनमें से कुछ जानकारी पाकिस्तान या चीन के हाथ लगने पर नुकसान हो सकता है।

‘द ऑस्ट्रेलियन’ के मुताबिक, कुल 22,400 पेज लीक हुए हैं। ये सभी स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन्स से जुड़े हैं। जिसे फ्रांस के शिपबिल्डर डीसीएनएस ने भारत के लिए डिजाइन किया था। इन दस्तावेजों में हथियारों के डिटेल, क्रू मेंबर्स और पनडुब्बी की गोपनीय जानकारियां हैं। जिस स्कॉरपीयन पनडुब्बी आईएनएस कालवरी का ट्रायल किया गया है, उसकी लंबाई 216 फीट है और चौड़ाई 20 फीट है। जिन पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है, उन्हें वर्ष

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2020  तक भारतीय नौसेना को सौंपने का लक्ष्य रखा गया है। यह पनडुब्बी बारूदी सुरंग बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी समेत कई मिशन को अंजाम दे सकती है।  इसमें 533 एमएम टॉरपीडो लैस होगा। इसमें कुछ 06 टॉरपीडो ट्यूब हैं। इसके साथ दो एंटी-शिप मिसाइल भी रखी जाएंगी। यह 984 फीट तक गोता लगा सकती है।

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TAGS: स्कॉरपीयन, पनडुब्बी निर्माण परियोजना, नौसेना, दस्तावेज, लीक, रक्षा मंत्रालय, `द ऑस्ट्रेलियन’, रक्षा मंत्री, मनोहर पर्रीकर, एडमिरल अनिल लांबा, Sensitive documents, Navy, submarine project, leak, DCNS
OUTLOOK 24 August, 2016
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