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28 October 2015

दिबाकर बनर्जी, पटवर्धन समेत 10 फिल्‍मकारों ने अवार्ड लौटाए

इन फिल्‍मकारों ने अपने पुरस्कार लौटाने का फैसला ऐसे समय किया है जब एफटीआईआई के छात्रों ने अपनी हड़ताल खत्‍म करने का ऐलान किया है। इस तरह एफटीआईआई विवाद फ़िलहाल शांत होता नजर नहीं आ रहा है। फिल्मकारों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। इस पत्र में मौजूदा माहौल और सरकार के रवैये को लेकर गंभीर सवाल उठाये गए हैं। पुरस्‍कार लौटाने वाले फिल्‍मकारों में दिबाकर बनर्जी के अलावा आनंद पटवर्धन, राकेश शर्मा, परेश कामदार, निष्ठा जैन, राकेश शर्मा, कीर्ति नखवा, इरानील लाहिरी और लिपिका सिंह शामिल हैं।

अपने निर्णय की जानकारी देने के लिए बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने एफटीआईआई छात्रों के मुद्दों और असहिष्णुता के माहौल को दूर करने में सरकार की ओर से दिखाई गई उदासीनता के मद्देनजर यह कदम उठाया है। बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, मैं गुस्से या आक्रोश में यहां नहीं आया हूं। ये भावनाएं मेरे भीतर लंबे समय से हैं। सरकार का ध्यान इन मुद्दों की तरफ ले जाने के लिए और कोई रास्ता नहीं था। फ़िल्म 'खोसला का घोंसला' के लिए मिला अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाना उनके लिए आसान नहीं है। यह मेरी पहली फिल्म थी और बहुत सारे लोगों के लिए मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म है।

जाने-माने डाक्यूमेंट्री निर्माता आनंद पटवर्धन ने कहा कि सरकार ने अति दक्षिणपंथी धड़ों को प्रोत्साहित किया है।देश में आजकल जो कुछ घटित हो रहा है उससे उनका मोहभंग हुआ है। उन्होंने कहा, उनके इस कदम को राजनैतिक करार दिया जाएगा लेकिन उन्‍हें इसकी परवाह नहीं है। राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार उनके लिए अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से ज्‍यादा मायने रखते हैं। इसे वापस करना उनके लिए पीड़ादायक लम्‍हा है। पटवर्धन को 1985 में हमारा शहर फिल्‍म के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला था। गुजरात दंगों पर बनी फिल्‍म 'फाइनल सॉल्‍यूशन' के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार जीतने वाले राकेश शर्मा का कहना है कि मौजूदा असहिष्‍णुता, धर्मांध और भय के माहौल के खिलाफ हरेक भारतीय को आवाज उठानी चाहिए। 

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उधर, एफटीआईआई के छात्रों ने आज अपनी 139 दिनों पुरानी हड़ताल खत्म कर दी लेकिन वे संस्थान के चेयरमैन पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध जारी रखेंगे। आंदोलनकारी छात्रोें का कहना है कि उनके आंदोलन की सफलता यही है कि वे अपनी चिंताओं को आम जनता तक पहुंचा पाए। अब फिल्‍मकारों, कलाकारों और आम लोगों को इस लड़ाई को आगे बढ़ाना चाहिए।

 

 

 

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TAGS: दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन, राकेश शर्मा, हषवर्धन कुलकर्णी, एफटीआईआई, गजेंद्र चौहान, छात्र हड़ताल
OUTLOOK 28 October, 2015
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