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08 October 2015

आधार मामला: वृहद पीठ पर फैसला कल तक

संजय रावत

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जब मामले का उल्लेख किया तो प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, कृपया हमें कल शाम तक का समय दीजिए। हमें इस पर फैसला करने दीजिए। सवाल है कि इसके लिए नौ न्यायाधीशों को लगाना होगा। ऐसे में अन्य मामलों पर क्या होगा?

रोहतगी की तरफ से पूर्व के आदेश में बदलाव करने को लेकर याचिका पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध का के.के. वेणुगोपाल और हरीश साल्वे सहित वरिष्ठ वकीलों ने समर्थन किया। मनरेगा और प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसे कार्यक्रमों में आधार की महत्ता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, सरकार की सभी सामाजिक लाभकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। हमने इसमें बदलाव की मांग की है ताकि गरीबों और उम्रदराज समूहों के फायदे के लिए आधार के ऐच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दी जाए।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान साल्वे ने पीठ को सुझाव दिया कि पूर्व के आदेश में बदलाव की मांग वाली याचिकाओं पर फैसले के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ की बजाए पांच न्यायाधीशों की एक पीठ गठित की जा सकती है। शीर्ष न्यायालय ने कल अपने अंतरिम आदेश में संशोधन करने और आरबीआई तथा सेबी जैसी कुछ संस्थाओं और कुछ राज्यों को जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) और एलपीजी योजनाओं के अलावा कल्याणकारी योजनाओं में भी आधार कार्ड के ऐच्छिक इस्तेमाल की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि 11 अगस्त के उसके अंतरिम आदेश में परिवर्तन, स्पष्टीकरण और ढील दिए जाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ फैसला करेगी।

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शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को अपने आदेश में कहा था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड वैकल्पिक रहेगा और संबंधित प्राधिकारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा रसोई गैस वितरण प्रणाली के अलावा किसी अन्य मकसद के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक, सेबी, इरडा, ट्राई, पेंशन कोष नियामक प्राधिकरण और गुजरात तथा झारखंड सरीखे राज्यों ने हाल ही में न्यायालय में अर्जी दायर कर वृद्धों और कमजोर वर्ग के लोगों को उनके घर के दरवाजे पर ही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ देने के लिए आधार कार्ड के स्वैच्छिक उपयोग की वकालत की थी।

अटार्नी जनरल ने इससे पहले तथ्यों का हवाला दिया था कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा 21 अगस्त तक 90 करोड़ से ज्यादा नागरिकों को आधार कार्ड जारी किया गया है। रोहतगी ने यह भी कहा था कि चूंकि शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है इसलिए लोगों की पहचान स्थापित करने और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ की उपलब्धता के लिए भी  ऐच्छिक आधार पर इसके इस्तेमाल में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

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TAGS: उच्चतम न्यायालय, सुनवाई, आधार मामला, एच.एल. दत्तू, मुकुल रोहतगी, केंद्रीय सरकार, सेबी, रिजर्व बैंक, Supreme Court hearing, the AADHAR case, HL Dattu, Mukul Rohatgi, central government, SEBI, RBI
OUTLOOK 08 October, 2015
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