आधार कार्ड अनिवार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने आज आधार कार्ड की अनिवार्यता पर एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार पहचान संख्या अनिवार्य नहीं होगी। आधार कार्ड से संबंधित विभिन्न मामलों की सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि आधार का इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिट्टी के तेल और रसोई गैस वितरण प्रणाली के अलावा किसी अन्य मकसद के लिए नहीं किया जाएगा।
पर न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एक और महत्वपूर्ण निर्देश दिया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा हासिल की गई सूचना अदालत की अनुमति से केवल अपराधिक मामलों की जांच के अलावा किसी अन्य मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं की जाएगी।
न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कहा कि आधार कार्ड की कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी प्राधिकार के साथ साझा नहीं की जाएगी। न्यायालय ने इस संबंध में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का कथन भी रिकार्ड में दर्ज किया है।
शीर्ष अदालत की संविधान पीठ अब इस सवाल पर फैसला करेगी कि क्या आधार कार्ड तैयार करने के लिये बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र करने से व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन होता है और क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है?
शीर्ष अदालत ने आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया जिसमें इस आधार योजना के तहत पंजीकरण की प्रक्रिया अंतरिम रुप से रोकने का अनुरोध किया गया था।
इससे पहले, पीठ ने केन्द्र सरकार की आधार कार्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को यह फैसला करने के लिए सौंप दिया कि क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है? केन्द्र सरकार के संविधान पीठ के गठन का अनुरोध स्वीकार करते हुये न्यायालय ने मामला प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू के पास भेजने के साथ ही निर्णय के लिए कई सवाल भी तैयार किए हैं। इनमें सवालों में शामील है कि क्या निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है? यदि हां तो निजता के अधिकार का आकार क्या होगा?
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस योजना के तहत एकत्र बायोमेट्रिक सूचना को साझा करना निजता के मौलिक अधिकार का हनन है।