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12 January 2017

भारत में कई शहर जहां सांस लेना मुश्किल: ग्रीनपीस रिपोर्ट

 ग्रीनपीस कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, “वायु प्रदूषण अब स्वास्थ्य से जुड़ी एक राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुका है। रिपोर्ट में शामिल शहरों ने इसे नियंत्रित करने का कोई कारगर उपाय नहीं किया है। जिसके कारण यह शहर वायु प्रदूषण के आधार पर रहने योग्य नहीं कहे जा सकते। यहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया है लेकिन सरकारी तंत्र इस पर कान बंद कर बैठे हुए हैं।”

 बहुत सारी वैज्ञानिक रिपोर्टो ने इस दावे की पुष्टि समय-समय पर की है कि वायु प्रदूषण अब खतरे की घंटी बन चुका है। ग्रीनपीस इंडिया के सुनील दाहिया कहते हैं कि वायु प्रदूषण से  होने वाली मौतों की संख्या तंबाकू के कारण होने वाली मौतों से कुछ ही कम रह गयी है।

 देश के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों का 2015 में वायु प्रदूषण का स्तर PM 10 (2) 268 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 168माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रहा। इसमें 268 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दिल्ली टॉप पर है। वहीं इसके बाद अन्य शहरों में उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद, इलाहाबाद, बरेली, कानपुर, हरियाण का फरीदाबाद, झारखंड का झरिया, रांची,कुसेंदा,बस्टाकोला है और  बिहार के पटना का प्रदूषण स्तर PM 10, 258 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

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 जीवाश्म ईंधन है इसका जिम्मेवार

 रिपोर्ट में इसके कारणों को चिन्हित करते हुए बताया गया है कि इसका मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला,पेट्रोल, डीजल का बढ़ता इस्तेमाल है। सीपीसीबी से आरटीआई के द्वारा प्राप्त सूचनाओं में पाया गया कि ज्यादातर प्रदूषित शहर उत्तर भारत के हैं। यह शहर राजस्थान से शुरु होकर गंगा के मैदानी इलाके से होते हुए पश्चिम बंगाल तक फैले हुए हैं। आरटीआई से प्राप्त सूचनाओं और वायु प्रदूषण पर हुए पुराने अध्ययन का गहराई से विश्लेषण करने के बाद पाया गया कि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन है। इनके बढ़ते इस्तेमाल से वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

इस रिपोर्ट की विस्तार से व्याख्या करने पर पता चलता है कि वायु प्रदूषण को अब राष्ट्रीय समस्या मानकर उससे निपटना होगा।

सुनील कहते हैं, “भारत में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। साल 2015 में बाहरी प्रदूषित हवा की चपेट में आकर मरने वाले लोगों की संख्या भारत में चीन से भी अधिक थी। इस खतरनाक स्थिति से निपटने के लिये तत्काल एक निगरानी व्यवस्था लागू करने की जरुरत है।”

 सुनील बताते हैं कि बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेडेड रिस्पाँस सिस्टम को स्वीकार्यता दी है ताकि दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके। ग्रीनपीस इस कदम का स्वागत करता है। हमारा मानना है कि इस सिस्टम को दूसरे शहरों में भी लागू करना और उसे संचालित करना होगा। इसके लिए मजबूत और कारगर मॉनिटरिंग सिस्टम बनाना होगा ताकि आम जनता को अपने शहर के प्रदूषण की स्थिति की जानकारी समय -समय पर मिलती रहे।

अंत में सुनील जोड़ते हैं, “इस रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली में नहीं है। इसलिए हमें प्रदूषण नियंत्रण की रणनीति बेहद मजबूत , कारगर और लक्ष्य केंद्रित बनानी होगी। साथ ही इसे समय सीमा के भीतर लागू करना होगा। इसके लिए सबसे पहले हमें उर्जा और यातायात के क्षेत्र में कोयला,पेट्रोल,डीजल जैसे ईंधनों पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी।”

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TAGS: ग्रीनपीस, भारत, प्रदूषण, दिल्ली, वायु प्रदूषण, रिपोर्ट, सुनील दहिया
OUTLOOK 12 January, 2017
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