अजीत डोभाल ने दी पीएम और गृहमंत्री को हमले की जानकारी
पुलिस कहना है कि यात्रियों पर हुए हमले की साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने रची है। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि अटैक का मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल है। हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। यूपी में कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के आदेश दिए गए हैं। सीआरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन ने कहा कि हमले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही है और यात्रा अब भी जारी है। इसके शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए सुरक्षा के समुचित इंतजाम किए गए हैं। जम्मू में मोबाइल डेटा सर्विस को रोक दिया गया। बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सर्विस सीमित स्पीड के साथ उपलब्ध है। जम्मू-कश्मीर के गवर्नर एनएन वोहरा ने उच्च अधिकारियों के साथ मीटिंग की वहीं सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
सरकार ने की तीर्थयात्रियों से अपील
हमलों के बाद केंद्र सरकार ने सभी तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे सुरक्षा नियमों का पालन करें और प्रशासन का सहयोग करें। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि कि राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्था कर रहे हैं। जानकारियों के मुताबिक बस श्राइन बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड नहीं थी और बस के साथ कोई सुरक्षा भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले की जांच कर रही है और फाइनल रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
पहले से थी आतंकी हमले की सूचना
बताया जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा पर हमले से संबंधित खुफिया सूचना पहले से जारी की गई थी। इस सूचना में कहा गया था कि आतंकियों का लक्ष्य है कि कम से कम 150 श्रद्धालुओं को निशाना बनाया जाए। इसमें यह भी कहा गया था कि आतंकी इस फिराक में हैं कि 100 के आसपास जवानों को भी निशाना बनाया जाए। अमरनाथ यात्रा पर एक बड़ा हमला साल 2000 में भी हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
कड़ी सुरक्षा के बावजूद हमला
हालांकि यात्रा के लिए काफी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी लेकिन आतंकी हमला करने में कामयाब रहे। केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को 40 हजार अर्धसैनिक बल और प्रदान किए थे। यात्रा पहलगाम और बालटाल- इन दो रूटों से 29 जून को बेहद कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच शुरू की गई थी। इस यात्रा के तहत 6000 श्रद्धालुओं को उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप की तरफ से और 5000 श्रद्धालुओं को दक्षिणी कश्मीर के पहलगाम की ओर से पवित्र गुफा जाने के लिए इजाजत दी गई थी। इस साल करीब 1.2 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया था। 45 दिनों तक चलने वाली यात्रा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे मार्ग पर सैटलाइट ट्रैकिंग सिस्टम, ड्रोन्स, मोबाइल बंकर वाहन और रोड ओपनिंग पार्टीज (आरओपी) की तैनाती की गई थी।