इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस की पीएम को चिट्ठी, कहा- न्यायाधीशों की नियुक्ति में परिवारवाद-जातिवाद ही कसौटी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जजों की नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जस्टिस पाण्डेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लिखा है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों में कोई निश्चित मापदंड नहीं है। प्रचलित कसौटी केवल परिवारवाद व जातिवाद है। जस्टिस पांडेय की ओर से लिखी यह चिट्ठी सोशल मीडिया और कई वेबसाइटों पर उपलब्ध है।
जस्टिस रंगनाथ पाण्डेय ने लिखा है कि न्यायपालिका दुर्भाग्यवश वंशवाद व जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है। यहां न्यायाधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित करता है। राजनीतिक कार्यकर्ता का मूल्यांकन उसके कार्य के आधार पर चुनावों में जनता के द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध करके ही चयनित होने का अवसर मिलता है। लेकिन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई मापदंड नहीं है।
बंद कमरों में चाय की दावत पर किया जाता है जजों का चयन
जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों का चयन बंद कमरों में चाय की दावत पर किया जाता है, जिसका मुख्य आधार जजों की पैरवी और उनका पसंदीदा होना ही है। जस्टिस पांडेय ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में न्यायपालिका की गरिमा फिर से बहाल करने की मांग की है।
‘न्यायपालिका की गुणवत्ता व अक्षुणता लगातार संकट की स्थिति में’
पत्र में उन्होंने लिखा है कि 34 साल के सेवाकाल में उन्हें कई बार हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को देखने का अवसर मिला। उनका विधिक ज्ञान संतोषजनक नहीं है। पीएम को भेजे पत्र में जस्टिस ने लिखा है कि जब सरकार द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग की स्थापना का प्रयास किया गया तो उच्चतम न्यायालय ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप मानते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया था। जस्टिस ने बीते साल में हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विवाद व अन्य मामलों का हवाला देते हुए लिखा है कि न्यायपालिका की गुणवत्ता व अक्षुणता लगातार संकट की स्थिति में है। उन्होंने पीएम से न्यायपालिका की गरिमा पुनर्स्थापित करने के लिए न्यायसंगत कठोर निर्णय लिए जाने की।गुजारिश की है।
‘साधारण पृष्ठभूमि से आया व्यक्ति भी भारत का मुख्य न्यायाधीश बन सके’
जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने आगे लिखा, “महोदय क्योंकि मैं स्वयं बेहद साधारण पृष्ठभूमि से अपने परिश्रम और निष्ठा के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा में चयनित होकर न्यायाधीश और अब उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त हुआ हूं। अतः आपसे अनुरोध करता हूं कि उपरोक्त विषय पर विचार करते हुए आवश्यकता अनुसार न्यायसंगत तथा कठोर निर्णल लेकर न्यायपालिका की गरिमा पुनर्स्थापित करने का प्रयास करें, जिससे किसी दिन हम यह सुनकर संतुष्ट होंगे कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आया व्यक्ति अपनी योग्यता, परिश्रम और निष्ठा की वजह से भारत का मुख्य न्यायाधीश बन पाया।”