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23 February 2015

बदले-बदले से नज़र आये अन्ना

संजय रावत

     

  • जहां पहले आंदोलन में अन्ना का मंच आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं से ठसा रहता था, वहीं इस दफा अन्ना ने क‌िसी को मंच सांझा करने की इजाजत नहीं दी।
  • अन्ना के भाषण में सरकार से व‌िनती और चेतावनी दोनों हैं। अपने अंदाज में उन्होंने कार्यकर्ताओं को हंसाया और मीड‌िया प्रेमी कार्यकर्ताओं को फटकारा। बीच-बीच में कार्यकर्ताओं को जोश आता तो उनकी अन्ना..अन्ना..अन्ना..अन्ना की आवाजों से जंतर-मंतर गूंज उठता।
  • अन्ना ने कहा क‌ि भूम‌ि ग्रहण अध्यादेश पूंजीपत‌ियों को फायदा पहुंचाने वाला है। किसानों का दमन ज‌ितना इस सरकार ने क‌िया उतना क‌िसी ने नहीं क‌िया।
  • सरकार ने नए अध्यादेश में भूम‌ि अध‌िग्रहण के ल‌िए अपनी मर्जी से 70 फीसदी क‌िसानों की सहमती वाले मुद्दे को न‌िकाल द‌िया, अरे ऐसा तो अंग्रेज क‌िया करते थे।
  • अंग्रेजों ने भी इतना अत्याचार नहीं क‌िया। उनके समय में क‌िसान को अदालत में जाने का हक था लेक‌िन नए अध्यादेश के तहत भूम‌ि व‌िवाद में क‌िस‌ान को अदालत में जाने के ल‌िए सरकार से अनुमत‌ि लेनी होगी। सरकार क‌िसने बनाई, जनता ने, जनता 26 जनवरी 1950 को माल‌िक बन गई थी लेक‌िन संसद में पहुंचकर नेता गए।
  • मैं कभी टीवी कैमरा के सामने नहीं आता। कैमरा के सामने आता तो कैमरा में ही फंस जाता। कैमरा से दूर रहो। समाज और देश के ल‌िए काम करो। कैमरा से काम नहीं होगा।
  • मैंने 25 साल की उम्र में तय क‌िया था क‌ि मैं देश और समाज की सेवा करुंगा। इसल‌िए मुझे मौत से डर नहीं लगता है। हार्ट अटैक से मरने से अच्छा है क‌ि देश के ल‌िए काम करते हुए मर जाओ।         
  • चुनाव से पहले बोल रहे थे क‌ि अच्छे द‌िन लाएंगे, हमें भी लगा क‌ि अच्छे द‌िन आएंगे। लेक‌िन यह तो जबरदस्ती क‌िसान की जमीन ले रहे हैं। अच्छे द‌िन‌ क‌िसके आए?
  • हम सरकार से अनुरोध करते हैं क‌ि हमने आपकी सरकार बनाई है, अध्यादेश वापस ले लो। 2013 वाले कानून में सोचो की और क्या हो सकता है।
  • छोटे-छोटे गांव, तहसील में इस अध्यादेश के ख‌िलाफ पदयात्रा शुरू करो।
  • चार महीने का समय दे रहे हैं उसके बाद ‌फ‌िर रामलीला मैदान।
  • अबकी अनशन नहीं करुंगा। मुझे जीना है, समाज के ल‌िए, मरना नहीं है, अबकी बार जेल भरो आंदोलन होगा।
  • कुछ नहीं बदला है, गोरे चले गए, काले आ गए, 1947 के बाद आजादी की दूसरी लड़ाई होगी। फ‌िर से कुर्बानी देनी होगी।
  • याद रखो, सोना-चांदी अलंकार नहीं हैं। जेल जाना अलंकार है। अरे नाश्ता म‌िलता है वहां और दो वक्त की रोटी भी, इसल‌िए तैयारी रखो।  
  • मैंने शादी नहीं की। मेरी तरह मत रहना, शादी करना। बेशक मैंने शादी नहीं की लेक‌िन मेरा परिवार नहीं छूटा। छोटे परिवार से बड़ा परिवार हो गया है।
  • लता दीदी ने गाना गाया है न ऐ मेरे वतन के लोगों, बस उसी कुर्बानी को द‌िल से जोड़कर रखना है।     
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TAGS: अन्ना, अंदाज, मंच, आंदोलन, किसान, जेल, रोटी
OUTLOOK 23 February, 2015
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