Advertisement
05 May 2015

सदाशिवम को एनएचआरसी अध्यक्ष नहीं बनाने की अपील

पीटीआइ

पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम जब केरल के राज्यपाल बनाए गए थे, तब भी गंभीर सवाल उठे थे कि क्या एक न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यपाल का पद स्वीकार करना चाहिए। अब जबकि उनका नाम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के लिए चल रहा है तो नैतिकता औऱ निष्पक्षता का सवाल सामने आ रहा है। मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. प्रभाकर सिन्हा ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर मांग की है कि अगर उनके सामने पी. सदाशिवम को एनएचआरसी का चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव आए तो वह उसे स्वीकृति न दें। यह मांग पूरे संगठन ने की है। जब इस बाबत आउटलुक ने देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश वी.एन. खरे से बात की तो उन्होंने भी कहा कि यह नैतिकता और औचित्य का मसला है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए, इससे संस्था की साख पर सवाल उठते हैं। वी.एन. खरे ने कहा कि इस समय वैसे भी हर तरफ तमाम संस्थाएं अपनी प्रासंगिकता खो रही हैं और उनपर हमला तेज हुआ है, ऐसे में कानूनी जगत में शीर्ष पदों पर रहने वालों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में पीयूसीएल ने भी यही सवाल उठाए हैं कि राज्यपाल का पद स्वीकार करके सदाशिवम कार्यपालिका से आदेश लेने की स्थिति में पहुंच गए। यहां तक कि अपने इस्तीफे के लिए भी उन्हें केंद्र सरकार के गृह सचिव के आदेश पर निर्भर होना होता है। हाल ही में कई राज्यपालों को ऐसे ही आदेश मिले और कई ने जब इसका पालन नहीं किया तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। ऐसे में इस नियुक्ति का विरोध होना चाहिए क्योंकि यह सीधे-सीधे हितों और निष्पक्षता के टकराव का मुद्दा है।

पीयूसीएल ने अपने पत्र में इस बात का भी हवाला दिया है कि भारत पेरिस सिद्धांत पर हस्ताक्षर करने वाला देश है जिसके तहत एनएचआरसी को स्वायत्त और स्वतंत्र संस्था के तौर पर स्थापित करना है। इस संस्था का काम सरकार का ध्यान मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं के ओर खींचना है। ऐसे में एक व्यक्ति जो राज्यपाल के रूप में केंद्र सरकार का नुमाइंदा रह चुका हो, वह कैसे निष्पक्ष ढंग से मानवाधिकारों की रक्षा कर पाएगा। इन तमाम बिंदुओं का जिक्र करते हुए पीयूसीएल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह सदाशिवम को इस पद पर बैठाए जाने की अनुमति न दें।

Advertisement

उधर, मानवाधिकार के मुद्दों को अदालत में उठाने वाले वकील कोलिन गोंसालविस की राय इससे उलट है। उनका मानना है कि देश के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर सदाशिवम का कार्यकाल बेहतर रहा था इसलिए अगर वह एनएचआरसी के चैयरमैन बनते हैं तो इससे मृत पड़ी इस संस्था को नया जीवन मिलेगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम, राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी, मानवाधिकार आयोग, अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट, प्रधान न्यायाधीश, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, Justice p. Sathasivam, President Pranab Mukherjee, Human Rights Commission, the Supreme Court, the Chief Justice, Peo
OUTLOOK 05 May, 2015
Advertisement