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16 November 2015

पुरस्‍कारों की कद्र करें, विमर्श से जताएं असहमति: राष्‍ट्रपति

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देश में बढ़ती असहिष्‍णुता को मुद्दा बनाकर चल रहे पुरस्‍कार वापसी अभियान की पृष्‍ठभूमि में राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी का एक महत्‍वपूर्ण बयान आया है। राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में उन्‍होंने कहा कि पुरस्‍कार प्रतिभा और कड़ी मेहनत को सार्वजनिक पहचान दिलाते हैं, इसलिए पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वालों को इनकी कद्र करनी चाहिए, इन्‍हें संजोकर रखना चाहिए। संवेदनशील लोग समाज में होने वाली कुछ घटनाओं से व्‍यथित हो जाते हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं पर चिंताओं की अभिव्‍यक्ति संतुलित होनी चाहिए। हमें भावनाओं में नहीं बहना चाहिए और हमारी असहमति बहस व विमर्श के जरिए व्‍यक्‍त होनी चाहिए। इस मौके पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि जब भी जरूरत महसूस हुई, भारत खुद को सुधारने में सक्षम रहा है। 

राष्‍ट्रीय प्रेस परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विचारों की अभिव्‍यक्ति के माध्‍यम के तौर पर कार्टून और रेखाचित्रों के महत्‍व व प्रभाव विषय पर बोलते हुए राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश पर गर्व करने वाले भारतीय के तौर पर हमारा भारत के विचार और संविधान के मूल्‍यों व सिद्धांतों में भरोसा होना ही चाहिए। 

हालांकि, अपने संबोधन में राष्‍ट्रपति ने किसी खास घटना का जिक्र नहीं किया है लेकिन उनकी बातों को साहित्‍यकारों एवं विभिन्‍न कलाकरों की पुरस्‍कार वापसी मुहिम और देश में असहिष्‍णुता के माहौल पर उठते सवालों के संदर्भ में देखा जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने आरके लक्ष्‍मण और राजिंदर पुरी जैसे महान कार्टूनिस्‍टों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू कार्टूनिस्‍ट वी. शंकर से कहा करते थे कि उन्‍हें मत बख्‍शना। विचारों का यही खुलापन और उचित आलोचना को स्‍वीकार करना हमारे महान राष्‍ट्र की खास परंपरा रही है जिसे हमें मजबूत करना है। लोकतंत्र में समय-समय पर विभिन्‍न चुनौतियां आएंगी, जिनका सामना हमें मिल-जुलकर करना है।  

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TAGS: राष्‍ट्रपति, प्रणब मुखर्जी, पुरस्‍कार वापसी, असहिष्‍णुता, संविधान, राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस
OUTLOOK 16 November, 2015
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