आजम ने संयुक्त राष्ट्र से की दादरी कांड की शिकायत
खां ने लखनऊ में संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने पत्र में कहा है कि गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य फासीवादी ताकतें मुल्क के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करके इसे हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती हैं। केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस ताने-बाने को बनाए रखने की शपथ तो ली थी लेकिन उसका झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे उस कट्टरपंथी संगठन की तरफ है जो देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए 40 अन्य सम्बद्ध संगठनों के जरिये काम कर रहा है।
आजम ने कहा कि देश में फासीवादी ताकतें मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा करने का अभियान चलाकर समाज में खाई तैयार करना चाहती हैं। हाल में दादरी में गोवध के आरोप में अखलाक नामक व्यक्ति की भीड़ द्वारा हत्या किया जाना इस मंसूबे की ताजा मिसाल है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को पत्र लिखने के साथ-साथ उनसे मुलाकात के लिए समय भी मांगा है। उन्होंने पत्र में कहा, ‘इस सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय संस्था से मेरा विनम्र निवेदन है कि वह हमारी बदहाली को समझे और भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय करारों पर टिक कर काम करने को कहे। साथ ही उससे यह भी कहे कि वह देश में धर्मनिरपेक्षता और अनेकता में एकता की भावना को बढ़ावा दे और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुटे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे गैर संवैधानिक संगठन के एजेंडा को आगे ना बढ़ाए।’
खां ने कहा कि वह चाहते हैं कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक गोलमेज सम्मेलन बुलाकर गोमांस की आड़ में मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशों पर चर्चा कराएं। खां ने एक सवाल पर कहा कि उनका संयुक्त राष्ट्र से अपना दर्द कहने का मतलब भारत के खिलाफ कुछ कहना कतई न माना जाए। संयुक्त राष्ट्र इसलिए बना था कि दुनिया के मानवीय अधिकारों का हनन न हो और दुनिया को कानून तथा मानवता की निगाह से एक साथ देखा जा सके। इसलिए उसके सामने अपनी तकलीफ को बयान किया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमानों के लिए जो भाषा बोली जा रही है, वह तो किसी असभ्य समाज में भी नहीं बोली जाती। संघ को बिहार, उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों में सरकारें बनाने के लिए यकीनन एक ऐसा मुद्दा चाहिये जिससे दो सभ्यताएं अलग-अलग खड़ी हो सकें। काबीना मंत्री ने गंभीर आरोप लगाया कि बाबरी के बाद दादरी का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि वह दिल्ली से नजदीक है और भाजपा की केंद्र की सरकार को वहां फसाद कराने और अपना प्रभाव इस्तेमाल करने में आसानी हो रही थी। वह देश के गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) साहब के बेटे का भी राजनीतिक क्षेत्र है। वह वहां काम करते हैं। खां ने कहा, यह भी बात सामने आई कि बापू की तहरीक के बाद हिंदुस्तान में सबसे बड़ा आंदोलन अशोक सिंघल जी का था और इसके लिए वह सम्मानित भी किए गए। हम इससे अंदाजा लगा रहे हैं कि देश को किधर ले जाने की कोशिश है।
उन्होंने मीडिया की सराहना करते हुए कहा कि उसने दादरी में मुसलमानों के होने वाले कत्लेआम की तैयारियों का पर्दाफाश किया। फासीवादी ताकतें वह सब नहीं कर सकीं जो उनका मंसूबा था। कल रात भी हालात खराब करने की कोशिश की गई। सपा का मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले आजम खां ने कहा मुसलमान अगर अपने मजहब के मुल्क में रहना चाहते तो वर्ष 1947 में उनके लिए पाकिस्तान के रास्ते खुले हुए थे, मगर वह बापू और सरदार पटेल के आश्वासन पर और मौलाना अबुल कलाम आजाद की तकरीर में दिलाए गए यकीन पर हिंदुस्तान में रुक गए। मुसलमान एक धर्मनिरपेक्ष मुल्क में रुके थे। हिंदू राष्ट्र बनने के बाद मुसलमानों की क्या हैसियत होगी, उनके क्या अधिकार होंगे, यह बता देना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के लिए जरूरी है।
खां ने कहा बिहार में चुनाव का मूड ही बदल गया है। आज वहां विकास और जाति वर्ग चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि चुनावी मुद्दा यह है कि किसी के बारे में उंगली उठा कर कह दिया जाए कि इसके पेट में बीफ है तो उसे जान से मार दिया जाए। उन्होंने न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काट्जू के गाय के बारे में दिए गए विवादास्पद बयान का जिक्र करते हुए कहा कि इस बारे में काटजू से कोई सवाल क्यों नहीं किया गया। आजम ने कहा कि गाय से न सिर्फ हिंदुओं का बल्कि मुसलमानों का भी मजहबी रिश्ता है। हत्या से ज्यादा बड़ा जुर्म क्या हो सकता है मगर उसकी सजा के लिए कानून है। हम चाहते हैं कि देश में किसी भी जीव की हत्या न की जाए। इसके लिए कानून बने।