बंगाल: बदहाल चाय बागानों ने ऊड़ाई ममता की नींद
राज्य में उत्तर बंगाल का इलाका चाय उत्पादन का प्रमुख केंद्र रहा है। पिछले कई सालों से यहां जारी इस संकट की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री ने अब जाकर बीमार पड़े चाय उद्योग को उबारने और हालात से निपटने के लिए मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) के गठन का फैसला लिया है। मिली जानकारी के अनुसार राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र की अध्यक्षता में गठित इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति को केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर फौरन इस समस्या के समाधान के लिए रास्ता सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चाय बागानों की स्थिति में सुधार एवं बंद पड़े बागानों को फिर से खोलने के उपायों पर यह समिति जल्द ही केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू करेगी।
वहीं इस मामले को लेकर राजनीति भी अपने रंग में जारी है। राज्य में सत्तारूढ़ त़णमूल और सरकार के लोगों का कहना है कि साल 2011 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के चाय बागानों की समस्या का हल निकालने की कोशिश में जुटी है। वहीं सरकार के इस दावे पर राज्य में विपक्षी पार्टी माकपा ने आरोप लगाया कि पिछले चार सालों में बड़ी संख्या में चाय बागानों के बंद हो जाने से 600 से ज्यादा मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत हो चुकी है। माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि पिछले डेढ़ सालों में अकेले अलीपुरद्वार जिले में 400 से ज्यादा चाय श्रमिकों की मौत हुई। बंगाल में चाय उद्योगों की बदहाल होती स्थिति और भूख की वजह से इससे जुड़े मजदूरों की लगातार हो रही मौत पर माकपा समेत सभी विपक्षी पार्टियां हमेशा तृणमूल सरकार पर हमलावर रहती हैं। हालांकि इससे पहले विपक्षी दलों के हमलों और आरोपों के बीच ममता ने बंद चाय बागानों के मजदूरों के लिए विशेष पैकेज व अत्यंत कम दर पर अनाज देने की योजना की भी शुरुआत की है।