दलित-आदिवासी संगठनों का भारत बंद आज, वनभूमि से बेदखल करने और 13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध
आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार के खिलाफ आदिवासी और दलित समाज के लोग सड़कों पर हैं। आदिवासियों ने जंगल से उन्हें बेदखल करने खिलाफ बंद बुलाने का आह्वान किया है तो दलित संगठनों ने 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करने की मांग को लेकर ‘भारत बंद’ बुलाया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदिवासियों और वनवासियों को उनके आवास से बेदखल करने के फैसले से राहत देने के हालिया आदेश के बावजूद आदिवासी समूहों ने अपने 5 मार्च के घोषित भारत बंद के फैसले पर कायम रहने का फैसला किया है। वहीं दलितों द्वारा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों व अन्य सरकारी संस्थानों में बहाली में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को समाप्त करने की मांग को लेकर बुलाया गया है।
क्यों विरोध में उतरे हैं आदिवासी
सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को 21 राज्यों के 11.8 लाख वनवासियों और आदिवासियों को वनभूमि से बेदखल करने का आदेश सुनाया था। लेकिन बाद में निर्देश पर रोक लगा दी गई। सुप्रीम कोर्ट की राहत के बावजूद आदिवासियों ने भारत बंद का फैसला कायम रखा हैं। उनका कहना है कि ये केवल फौरी राहत है और वन अधिकार अधिनियम के तहत इसे कभी भी पलटा जा सकता है। आदिवासी समूह की मांग है कि केंद्र उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए अध्यादेश लाए।
13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध क्यों
दलित संगठन 13 प्वाइंट रोस्टर के बजाय 200 प्वाइंट रोस्टर को वापस लाने के लिये अध्यादेश या विधेयक की मांग कर रहे हैं। इनकी दलील है कि रोस्टर सिस्टम से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण खत्म हो जाएगा।
इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा है। विपक्षी दलों ने मांग कि अगर सरकार 2 दिन के भीतर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा बिल ला सकती है तो इस मुद्दे पर विधेयक या अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है।
शिक्षा मंत्री जावड़ेकर ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान दिया था। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लागू किए गए 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के बाद सरकार अब पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। जावड़ेकर ने कहा, ‘सरकार हमेशा सामाजिक न्याय के पक्ष में है, पुनर्विचार याचिका खारिज होने की स्थिति में सरकार ने अध्यादेश या विधेयक लाने का फैसला किया है।’
क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर?
देश के विश्वविद्यालयो में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहले 200 पॉइंट रोस्टर के तहत आरक्षण की व्यवस्था थी। इस व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना जाता था। इसमें 1 से 200 पद के लिए 49.5 फीसदी आरक्षित वर्ग और 50.5 फीसदी अनारक्षित वर्ग के हिसाब से भर्ती की व्यवस्था थी। यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मानने से सभी वर्ग के उम्मीदवारों की भागीदारी सुनिश्चित हो पाती थी।
नए नियम यानी 13 पॉइंट रोस्टर के तहत विश्वविद्यालय को यूनिट मानने के बजाय विभाग को यूनिट माना गया। इसमें पहला, दूसरा और तीसरा पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है। जबकि चौथा पद ओबीसी वर्ग के लिए, पांचवां और छठां पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है। इसके बाद 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए, 8वां पद ओबीसी, फिर 9वां, 10वां, 11वां पद फिर सामान्य वर्ग के लिए। 12वां पद ओबीसी के लिए, 13वां फिर सामान्य के लिए और 14वां पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा। विपक्ष का आरोप है कि इस नए रोस्टर के तहत SC/ST और ओबीसी आरक्षण पर बुरा असर पड़ेगा और इस वर्ग के लोग यूनिवर्सिटी में जगह नहीं पा सकेंगे।
कई राजनीतिक पार्टियां भी शामिल
बंद को लेकर देश के कई हिस्सों में सरकारें अलर्ट पर हैं। इस बंद में आदिवासी अधिकार आंदोलन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा, संविधान बचाओ संघर्ष समिति जैसे बड़े संगठन शामिल हैं। बंद का समर्थन कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी जैसी बड़ी पार्टियों ने किया है।