नए वेतन कोड से हर श्रमिक को मिलेगा न्यूनतम वेतन, बीएमएस ने किया स्वागत
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने संसद में पेश किए गए वेतन कोड का स्वागत करते हुए कहा है कि नया कानून क्रांतिकारी कदम है क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र के आखिरी श्रमिक तक न्यूनतम वेतन का लाभ मिलेगा। अभी सिर्फ सात फीसदी श्रमिकों को ही इसका लाभ मिल पाता है।
मौजूदा कानूनों की कमियां दूर हुईं
बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नरायण सी. के. ने एक बयान में कहा कि नए कानून में मौजूदा वेतन संबंधी कानूनों की कमियां दूर की गई हैं। मौजूदा कानून सभी क्षेत्रों में लागू नहीं होते हैं। अनुसूचित सेक्टरों में ही ये प्रभावी हो पाते हैं। अलग-अलग सेक्टरों और अलग-अलग कार्यों के लिए वेतन में भी काफी भिन्नता है।
अनुबंधित श्रमिक को भी मिलेगा फायदा
वेतन कोड में न्यूनतम वेतन के लिए सेक्टरों को अनुसूचित करने की पुरानी व्यवस्था खत्म की गई है। अब सभी नियोक्ताओं को न्यूनतम वेतन देना होगा, भले ही वे प्रत्यक्ष नियोक्ता हो, या अनुबंध पर कर्मचारी रखते हों या फिर किसी सप्लाई चेन में हों। इससे अनुबंधित कर्मचारियों समेत हर किस्म के कर्मचारी को न्यूनतम वेतन का लाभ मिलेगा।
पांच साल के भीतर न्यूनतम वेतन बढ़ाना अनिवार्य
नए कोड में न्यूनतम वेतन पांच साल के भीतर संशोधित करना अनिवार्य है जबकि अभी कई वर्षों तक इसमें वृद्धि नहीं होती है। कोड में लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म किया गया है। भर्ती और सेवा शर्तों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
ईपीएफ और ईएसआइ के लाभ से वंचित नहीं होंगे
एडवायजरी बोर्ड को महिला कर्मचारियों की रोजगार कुशलता बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। नए कोड के अनुसार अगर नियोक्ता ईपीएफ और ईएसआइ में योगदान जमा नहीं करता है तो कर्मचारियों को नुकसान नहीं होगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत नियोक्ता द्वारा समय पर योगदान न देने पर कर्मचारी लाभ से वंचित हो जाते हैं।
वेतन संबंधी कानून उल्लंघन पर आपराधिक केस
नए कानून में वेतन भुगतान बैंकों के माध्यम से किए जाने पारदर्शिता आएगी। श्रमिकों और श्रम संगठनों को आपराधिक केस दर्ज करवाने का अधिकार दिया गया है जबकि मौजूदा कानून में ऐसा अधिकार नहीं है। किराया, कन्वेंस और ओवर टाइम को वेतन शामिल किए जाने से वेतन का दायरा बढ़ाया गया है। वेतन के दावे करने का समय भी बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। इस वजह से देरी के कारण दावा करने के अधिकार से श्रमिक वंचित नहीं रहेंगे। 2017 के मसौदे में इंस्पेक्टर नहीं था जबकि अब मसौदे में सुधार करके इंस्पेक्टर कम फैसेलिटेटर जोड़ा गया है। कुल मिलाकर कोड से श्रमिकों को काफी फायदे मिलेंगे।
त्रिपक्षीय कमेटी तय करेगी न्यूनतम वेतन
न्यूनतम वेतन की गणना 15वीं इंडियन लेबर कांफ्रेंस के सिद्धांतों, रेप्टाकोस ब्रेट केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भविष्य के सुझावों के आधार पर की जाएगी। न्यूनतम वेतन का निर्धारण श्रम संगठन सहित बनने वाली त्रिपक्षीय कमेटी द्वारा मौजूदा न्यूनतम वेतन कानून की स्थापित व्यवस्था के तहत किया जाएगा। एक अन्य त्रिपक्षीय एडवायजरी बोर्ड भी इस प्रक्रिया पर गौर करेगा। सरकार एकतरफा तौर पर न्यूनतम वेतन निर्धारित नहीं कर सकेगी।
श्रमिकों को लाभ दिलाने वाला वेतन कोड जल्द पास हो
साजी नरायण ने कहा कि पुराने कानून के कुछ प्रावधान नए कोड में दुरुस्त करने की आवश्यकता है। चूंकि वेतन कोड जांच के लिए पहले ही संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजा जा चुका है। इस कानून को दोनों सदनों से जल्द से जल्द पारित किया जाना चाहिए ताकि देश के 50 करोड़ श्रमिकों को नए कानून का लाभ मिल सके।