सीबीआई अधिकारी ने कहा, अस्थाना की जांच रोकने के लिए हुआ तबादला, सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर की जांच करने वाले एक सीबीआई अधिकारी ने अपने तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। दरअसल, आईपीएस अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा अस्थाना के कथित भ्रष्टाचार मामले में दर्ज एफआईआर की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे। उनका तबादला महाराष्ट्र के नागपुर में कर दिया गया था।
कल होगी सुनवाई
सिन्हा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की खंडपीठ से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की। इस खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.के. कॉल और जस्टिस के.एम. जोसेफ भी हैं। यह खंडपीठ कल मामले की सुनवाई करेगी। इसी खंडपीठ के पास सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा की भी याचिका है, जिन्होंने सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत उनके अधिकार छीन लिए गए और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया।
सिन्हा ने कहा कि वर्मा की याचिका के साथ ही उनकी याचिका पर भी कल सुनवाई हो। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका तबादला नागपुर कर दिया गया और नतीजतन अस्थाना के खिलाफ एफआईआर की जांच टीम से भी उन्हें हटा दिया गया। सीबीआई निदेशक से तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने अस्थाना के भी अधिकार छीन लिए और उन्हें भी छुट्टी पर भेज दिया। सीबीआई ने अस्थाना पर मांस कारोबारी मोईन कुरैशी मामले की जांच में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। बता दें कि राकेश अस्थाना ही इस मामले की जांच कर रहे थे।
वर्मा ने दाखिल किया जवाब
सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने सीवीसी की तरफ से उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्राथमिक जांच पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। कोर्ट ने 16 नवंबर को वर्मा से कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट पर सोमवार तक सील बंद कवर में अपना जवाब दाखिल करे।
वर्मा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को पहले जानकारी दी कि सीबीआई निदेशक अभी तक अपनी प्रतिक्रिया नहीं दाखिल कर पाए हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा, “हम सुनवाई की तारीख आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। आप जितनी जल्दी संभव हो जवाब दाखिल करें। हमें उसे पढ़ना भी है।”
शीर्ष अदालत ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की प्रारंभिक रिपोर्ट पर 16 नवंबर को आलोक वर्मा को सीलबंद लिफाफे में सोमवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सीवीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कुछ 'बहुत ही प्रतिकूल' टिप्पणियां की हैं और वह कुछ आरोपों की आगे जांच करना चाहता है।