Advertisement
02 February 2016

चर्चा: जन्म से पहले भविष्य तय | आलोक मेहता

गूगल

जिस देश के हर कोने में देवी पूजी जाती है, वहां कुछ अंधविश्वासी-अशिक्षित अथवा पूर्वाग्रही पिशाच बच्ची को बाेझ मानकर मार देते हैं अथवा उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं। कुछ लोग स्‍त्री के गर्भधारण के सा‌थ ही ज्योतिषी से ‘पुत्र-पुत्री’ की भविष्यवाणी जानने की कोशिश करते रहे।

आधुनिक चिकित्सा टेक्नोलॉजी आने पर छोटे गांवों से अधिक कस्बों-शहरों-महानगरों में गर्भ-धारण के बाद लिंग की पहचान के लिए सोनोग्राफी का उपयोग होने लगा। वहीं कन्या की पहचान होने पर भ्रूण हत्या के गंभीर मामले सामने आने लगे। इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर लगभग 20 वर्ष पहले गर्भ के लिंग पहचान पर अंकुश लगाने वाले कानून भारतीय संसद ने पारित किया। कानून तोड़ने वाले परिवारों के साथ अपराधी डॉक्टरों और क्लिनिक पर कड़ी कार्रवाई हुई।

इक्कीसवीं शताब्दी के आधुनिक भारत की तेज-तर्रार महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस कानून को खत्म कर सबके लिए गर्भ में लिंग की पहचान का रिकार्ड रखे जाने का प्रस्ताव सरकार और जनता के सामने रख दिया है। यह तर्क कितना अजीब है कि बेटा या बेटी का पता लगाने पर गर्भ में बच्चे की सही तरह से निगरानी हो सकेगी। एक बेटे की मां होने के बावजूद वह यह कैसे कल्पना कर सकती है कि लिंग की पहचान होने पर गर्भ में अलग-अलग तरीके से पोषण हो सकेगा?

Advertisement

मेनका गांधी ने अपने प्रस्ताव का रहस्योदघाटन उसी राजस्‍थान के जयपुर शहर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के अवसर पर किया है, जहां बेटियांे के साथ भेदभाव की समस्या से निजात के लिए वर्षों से अभियान चल रहा है। कुछ पत्रकारों ने इसी राजस्‍थान में कन्या भ्रूण हत्या के गंभीर अपराधों का भंडाफोड़ किया था और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिले।

मेनका गांधी या उनकी पार्टी के नेता कहीं किसी कट्टरपंथी गुट या लिंग पहचान की मशीनों से करोड़ाें की कमाई करने वाली लॉबी से प्रभावित तो नहीं हो गए हैं? मेनका गांधी कैसे भूल गई हैं कि उन्होंने अपने पति संजय गांधी के साथ इमरजेंसी के दौरान परिवार नियाेजन अभियान का नेतृत्व किया था, जिसके कारण पूरे देश में भ्रांतियांे के साथ महिलाओं पर ज्यादतियांे के गंभीर आरोप सामने आए और इंदिरा-संजय गांधी की कांग्रेस पार्टी को चुनाव में करारी पराजय का सामना करना पड़ा। कन्या जन्म से पहले पहचान के इस अभियान से कहीं भाजपा सरकार और पार्टी का भविष्य भी खतरे में न पड़ जाए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: alok mehta, menka gandhi, female foeticide, sex determination, आलोक मेहता, मेनका गांधी, कन्या भ्रूण, लिंग जांच
OUTLOOK 02 February, 2016
Advertisement