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16 February 2016

चर्चा : संवाद बिना नहीं संसद। आलोक मेहता

बजट सत्र में कर सुधार के लिए जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स / वस्तु एवं सेवा कर) संबंधी विधेयक को पारित कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्यसभा में भाजपा गठबंधन के लिए अल्पमत बड़ी बाधा रही है और प्रतिपक्ष का सहयोग आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से बातचीत की थी, लेकिन कांग्रेस के सुझावों पर ठोस फैसले के अभाव में यह मुद्दा लटका रहा।

याें जीएसटी कांग्रेस गठबंधन सरकार भ्‍ाी लाना चाहती रही है। लेकिन तालमेल के अभाव में टकराव बढ़ता रहा। संसद में गतिरोध और सड़क पर टकराव की स्थितियों से मोदी सरकार जन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही है।  इसी तरह कांग्रेस के कई अनुभवी नेता निरंतर विरोध और टकराव के बजाय जनहित के मुद्दों पर सकारात्मक रुख के पक्ष में रहे हैं। हां, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़े तेवर अपनाकर सरकार से असहयोग जारी रखा। उनके सलाहकारों का तर्क है कि यदि सरकार केवल गांधी परिवार को निशाना बनाकर पूर्वाग्रहों के साथ कांग्रेस पार्टी के नेताओं को कठघरे में खड़ा करती रहेगी, तो सहयोग की उपेक्षा कैसे कर सकती है? भारतीय संसदीय इतिहास में नेहरू, इंदिरा, राजीव, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी प्रतिपक्ष भारी और महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन इमरजेंसी के अपवाद को छोड़कर हर प्रधानमंत्री ने प्रतिपक्ष के साथ सार्थक संवाद बनाए रखकर संसद का कामकाज अच्छी तरह चलाया। सन 2014 के चुनाव के बाद ऐसा माहौल अब तक नहीं बन सका।

राजनीति में प्रतिपक्ष दुश्मन नहीं होता। चुनौती बनता है, विरोध करता है। फिर चुनाव में कभी कोई सत्तारूढ़ होता है और प्रतिपक्ष की भूमिका निभाता है। अमेरिका तक में राष्ट्रपति के पास हमेशा संसद में बहुमत नहीं होता। लेकिन असहमतियों के बावजूद महत्वपूर्ण मुद्दों पर देर सबेर समझौते होते हैं। भारतीय लोकतंत्र में सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का अंबार है। ऐसी स्थिति में एक पक्षीय कड़ा रुख नहीं चल सकता। मंगलवार की बैठक में प्रतिपक्ष ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की विवादास्पद सभा, नारेबाजी के बाद छात्र नेता की गिरफ्तारी, पुलिस ज्यादती का मुद्दा उठाया। तब प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि वह दलगत सोच से हटकर देश के नेता के रूप में इस मामले की पड़ताल कराएंगे। आखिकार, संघर्ष नहीं संवाद ही सरकार और समाज के हितों की रक्षा कर सकता है। 

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TAGS: alok mehta, charcha, Goods and service tax, GST, rahul gandhi, sonia gandhi, narendra modi, आलोक मेहता, चर्चा, गुड्स एंड सर्विस टैक्स, जीएसटी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी
OUTLOOK 16 February, 2016
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