चर्चाः ‘सूरज’ तले लूट का अंधेरा | आलोक मेहता
कम्युनिस्ट पार्टियां, मुस्लिम लीग और कुछ इलाकों में संघ-भाजपा प्रभाव वाले केरल में कांग्रेस के नेता अंतर्कलह और भ्रष्टाचार के प्रभावी आरोपों के तीरों से घायल दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री चांडी भले ही अपने को निर्दोष बता रहे हों, लेकिन उनके निजी सहायकों, मंत्रियों के खिलाफ प्रमाण पुलिस थाने से अदालतों तक पहुंच गए हैं। मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ रहा है। एक समय मुख्यमंत्री और उनके करीबी अधिकारियों-मंत्रियों से निरंतर संपर्क में रहने वाली तेज-तर्रार महिला उद्यमी के दावों को केवल षड्यंत्र और काल्पनिक नहीं माना जा सकता। संभव है कि अतिशयोक्ति और नगद लेन-देन के कारण कुछ प्रमाण पुख्ता न हों।
केरल अन्य राज्यों की तरह पिछड़ा नहीं है। साक्षरता और राजनीतिक जागरूकता में अन्य राज्यों से बहुत आगे है। कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों के गठबंधन प्रदेश में लगातार राज करते रहे हैं। लेकिन पिछले वर्षों में संघ-भाजपा ने भविष्य की जमीन तैयार की है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा कोई बड़ी ताकत नहीं बन सकती लेकिन कांग्रेस की नाव डुबोने लायक तकत पा चुकी है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि केरल में मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी में भी वरिष्ठ रहे ए.के. एंटनी को देश के सर्वाधिक ईमानदार नेताओं में से एक माना जाता है। उनकी सादगी और विनम्रता का लोहा भी सब मानते हैं लेकिन ईमानदारी के कारण अनिर्णय और अति सावधनी के कारण केरल के कांग्रेसी ही नहीं जनता भी दुःखी रही है। प्रदेश और जनता के हित में सत्ता से सही निर्णयों और क्रियान्वयन की अपेक्षा रहती है। इस दृष्टि से एंटनी या चांडी को सही रास्ते पर नहीं चला पाने की विफलता का कचरा भी कांग्रेस नेतृत्व को सिर पर उठाना पड़ेगा।