चर्चाः दिल्ली के महारथी ने मारी चपत | आलोक मेहता
एक तरफ केंद्र सरकार वोडाफोन कंपनी को पिछले वर्षों से लागू की जाने वाली वसूली पर उदार हो गई, ताकि उसे हजारों करोड़ रुपये न देने पड़ें। दिल्ली या किसी भी राज्य में फीस बढ़ोत्तरी आने वाले वर्षों के लिए होती रही है, लेकिन दो साल पहले प्रवेश कर चुके छात्रों से तीन वर्षीय या पांच वर्षीय कोर्स की फीस नए रेट से वसूली का उदाहरण शायद ही मिले। श्रीमान केजरीवाल एक तरफ पंजाब विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ जीत का दावा कर रहे हैं, वहीं उनकी सरकार गुरु गोविन्द सिंह की स्मृति से जुड़े प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के शिष्यों से 2013 से 2015 तक चुकाई गई फीस के बाद अब 5 हजार से 25 हजार रुपये अतिरिक्त चुकाने का आदेश जारी कर चुकी है। केजरीवाल सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में 2014-17 के शैक्षणिक वर्ष के पाठ्यक्रमों के साथ 2013 से 2016 तक के पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे छात्रों को नव निर्धारित फीस वसूलने के लिए कहा गया है। अंदाज लगाइये जो छात्र दो महीने बाद कॉलेज की शिक्षा पूरी कर विश्वविद्यालय की डिग्री के लिए ‘अंतिम परीक्षा देने जा रहा हो, उसे कुछ दिनों में हजारो रुपये पहले चुकाने पड़ेंगे। वैसे यह विश्वविद्यालय ‘इंद्रप्रस्थ’ (दिल्ली) का है, लेकिन यहां महाभारत कालीन ‘कौरव राज’ नहीं है। इसलिए देश के विभिन्न राज्यों के योग्य लेकिन निम्न आयवर्ग के छात्र भी बाकायदा प्रवेश परीक्षा देकर भर्ती होते हैं। गरीब हों या प्रोफेशनल अथवा साधन संपन्न परिवारों ने इस तुगलकी आदेश का विरोध किया है। लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी राज में ‘ऑड ईवन’ का चमत्कार करने वाली सरकार हर ‘कष्ट’ को जनता द्वारा सहर्ष स्वीकारे जाने के आंकड़े जारी कर सकती है। अब तो मफलर की जरूरत भी नहीं है। पगड़ी पहनकर केजरीवाल सरकार गुरु गोविन्द सिंह के शिष्यों के सिर पर रिजल्ट और डिग्री की तलवार लटकाकर मनमाने ढंग से फीस वसूल करने को तैयार है।