मादक पदार्थों के जहर से मुकाबले के लिए समन्वित प्रयास जरूरी: राष्ट्रपति
शराब और मादक पदार्थों के नशे से मूल्यों के पूरी तरह ह्रास होने और अपराध दर में वृद्धि होने पर अफसोस प्रकट करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारें, एनजीओ और सिविल सोसायटी के सदस्यों को इन समस्याओं के उन्मूलन के लिए मिलकर काम करना होगा। राष्ट्रपति रविवार को मादक पदार्थ दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में उन्होंने शराब और मादक पदार्थो की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए। आतंकवाद की बढ़ती समस्या का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने बढ़ती आतंकी गतिविधियों के लिए धन के स्रोत पर सवाल खड़ा किया और कहा कि कई अध्ययनों में साबित हुआ है कि आतंकवाद, तस्करी और मादक पदार्थ संबंधी गतिविधियां आपस में जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इन कडि़यों को तोड़ा नहीं जाता, इन तीनों से लड़ना बहुत मुश्किल होगा।
राष्ट्रपति ने कहा, इन सामाजिक बुराइयों ने हमारे देश में और पूरी दुनिया में भी तबाही मचाई है। केवल सरकार के प्रयासों से इस समस्या को समाप्त नहीं किया जा सकता और सामाजिक खतरों के बारे में जागरुकता लाने के लिए बड़ी संख्या में एनजीओ तथा सिविल सोसायटी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा, यह केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि इसका समाज पर भी असर होता है क्योंकि इससे आपराधिक गतिविधियों, हिंसा, बलात्कार की प्रवृत्ति बढ़ती है। यह समाज को बांधकर रखने वाले मूल्यों का पूरी तरह ह्रास करता है। शराब और ड्रग्स के नशे की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वालों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि आत्मसंतुष्ट नहीं हों और इस दोहरी समस्या के उन्मूलन के लिए प्रयास जारी रखें। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद्र गहलोत और राज्यमंत्री कृष्णपाल गुज्जर और विजय साम्पला भी उपस्थित थे।