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07 August 2017

सल्तनत चली गई, लेकिन हम खुद को सुल्तान समझ रहे हैं: जयराम रमेश

प्रतिकात्मक फोटो

उन्होंने कहा कि मोदी और शाह की जोड़ी को हराने के लिए सामान्य दृष्टिकोण से काम नहीं चलेगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस को फिर से प्रासंगिक बनने के लिए अपने दृष्टिकोण में लचीलापन लाना चाहिए।

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये एक साक्षात्कार में रमेश ने स्वीकार किया कि आज  कांग्रेस पार्टी एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 1996 से 2004 तक चुनावी संकट का सामना करना पड़ा था, जब पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी थी। पार्टी को 1977 में भी "चुनावी संकट" का सामना करना पड़ा था जब वह आपातकाल के तुरंत बाद हुए चुनावों में हार गई थी। लेकिन आज चुनावी संकट नहीं है, आज कांग्रेस अपने अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। हालांकि उन्होंने बीजेपी के डर से कांग्रेस के 44 विधायकों को पार्टी शासित प्रदेश कर्नाटक भेजने के प्रयास को उचित ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी भी पहले ऐसा कर चुकी है।  

कांग्रेस को सोच गलत थी

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समाचार एजेंसी को दिये एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह सोच भी गलत थी कि बीजेपी शासित प्रदेशों में एंटी-इनकंबेंसी खुद काम करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम मोदी और शाह के खिलाफ हैं लेकिन यदि हम नहीं बदले तो अप्रासंगिक हो जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को समझना चाहिए की भारत बदल चुका है।अब पुराने नारों और तरीकों से काम नहीं चलेगा, इसलिए कांग्रेस को बदलना पड़ेगा।

राहुल गांधी को बनना चाहिए अध्यक्ष

इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आशा व्यक्त की कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी 2018 और उसके अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण चुनावो से पहले पार्टी अध्यक्ष के बारे में चल रही अनिश्चितता को खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा, "मैं भी सभी की तरह ही सोचता हूं कि 2017 के अंत से पहले राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे पहले की मेरी भविष्यवाणियां गलत ही साबित हुई हैं। 2018 और 2019 में राज्य और राष्ट्रीय चुनाव हैं इसलिए अनिश्चितता ठीक नहीं है। उन्होंने गांधी परिवार से इस अनिश्चितता को खत्म करने को कहा।

कौन दे सकता है मोदी को चुनौती

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस में ऐसा कोई नेता है जो 2019 के चुनावों में मोदी को मजबूत चुनौती दे सके? उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है। हां केवल कांग्रेस की सामुहिक शक्ति ही मोदी को हरा सकती है इसलिए सामूहिक प्रयास होने चाहिए। इसके साथ ही रमेश ने पार्टी के उन नेताओं को भी आड़े हाथों लिया जो अभी भी इस तरह का व्यवहार करते हैं जैसे कि पार्टी सत्ता में हो। वह कहतें है कि "सल्तनत चली गई, लेकिन हम अब भी इस तरह से व्यवहार करते हैं जैसे कि हम सुल्तान हो”। हमें अपने सोचने,काम करने और संचार के तरीकों में बदलाव करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस के लिए बहुत सद्भावना और समर्थन है, लेकिन आज लोग एक नयी कांग्रेस को देखना चाहते हैं। वो पुराने तरीकों और नारों को  फिर से नहीं देखना चाहते हैं। हमें अपनी चुनौतियों को समझना चाहिए।

नीतीश कुमार ने दिया झटका

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी देश में बीजेपी विरोधी गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका है। यह बिहार के लोगों द्वारा महागाठबंधन को दिए गए जनादेश के साथ पूरी तरह से विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि हालांकि मेरे नीतीश कुमार के साथ व्यक्तिगत संबंध है लेकिन मैं उनके इस निर्णय से बहुत ही हताश और निराश हूं। हमें आगे बढ़ना होगा, हालांकि हमारे पास वक्त बहुत कम है। राज्यसभा में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करने वाले जयराम रमेश ने उम्मीद जताई कि जिस तरह आज से 40 साल पहले कर्नाटक के चिकनमगलूर से इंदिरा गांधी का राजनीतिक पुनर्जन्म हुआ था उसी तरह से अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा से कांग्रेस का पुनरुद्धार होगा  

 

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TAGS: कांग्रेस, अस्तित्व, जयराम रमेश, congress, facing, existential crisis, jairam ramesh
OUTLOOK 07 August, 2017
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