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05 June 2018

एनडीए सरकार के कार्यकाल में नक्सलवाद या वामपंथी अतिवाद: सुरक्षा और विकास के चार साल

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- अमित श्रीवास्तव

जब भारतीय जनता पार्टी आम चुनाव-2014 लड़ रही थी तब चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम था। चुनावी घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से 'आतंकवाद पर जीरो टोलरेंस' की बातें कही गई थी। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा बने नरेंद्र मोदी ने लगभग हर भाषण में इस पर जोर दिया था।

गृह मंत्रालय अनुभवी और संतुलित नेता राजनाथ सिंह को सौंपा गया। इस मोर्चे पर परिणाम उत्साहजनक हैं। पिछले चार वर्षों के दौरान, भारत की सीमाओं पर आतंकवाद कम हुआ है, इसे लेकर कोई संदेह नहीं है। बेहतर खुफिया समन्वय और कार्रवाई के कारण, लगभग एक दशक बाद साल 2017 में कोई बम ब्लास्ट नहीं हुआ।

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उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंकवाद को रोकने की दिशा में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं। कश्मीर में रिकॉर्ड संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया। लेकिन सबसे प्रभावशाली और स्थायी सफलता मिली लेफ्ट-विंग अतिवाद (एलडब्ल्यूई) से, जिसे नक्सल आतंकवाद या नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है।

एनडीए सरकार ने वामपंथी अतिवाद से निपटने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना अपनाई। यह बहु-प्रवृत्त रणनीति सुरक्षा उपायों, विकास संबंधी दखल और एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

गृह मंत्री के द्वारा 'समाधान' (SAMADHAN) रणनीति बनाई गई। इस रणनीति के तहत S का मतलब स्मार्ट लीडरशिप,  A का मतलब अग्रेसिव स्ट्रेटजी, M का मतलब मोटीवेशन और ट्रेनिंग, A का मतलब एक्शनेबल इंटेलिजेंस, D का मतलब डैशबोर्ड बेस्ड की रिजल्ट एरिया, H का मतलब हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी, A का मतलब एक्शन प्लान फॉर ईच थियेटर और N का मतलब नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग है।

इस रणनीति का कार्यान्वयन बहुत उत्साहजनक रहा है। पिछले चार सालों में, एलडब्ल्यूई के परिदृश्य में काफी सुधार हुआ है।

- 2013 की तुलना में 2017 में हिंसा की घटनाओं से संबंधित मौतों में 34% की कमी के साथ 20% की गिरावट देखी गई है।

- एलडब्ल्यूई हिंसा का भौगोलिक प्रसार 2013 में 76 जिलों से भी घटकर 2017 में सिर्फ 58 जिलों तक सिमट गया।

ये प्रभावशाली परिणाम उस बहुपक्षीय दृष्टिकोण का नतीजा रहा जिसमें एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ विकास पर जोर दिया गया।

विभिन्न विकास परियोजनाओं के कारण नक्सल आतंकवाद में उल्लेखनीय कमी हासिल की गई है। ये परियोजनाएं सड़क निर्माण से लेकर शिक्षा और कौशल विकास तक हैं।

एनडीए सरकार ने 44 एलडब्लूई प्रभावित जिलों में 11,725 करोड़ की लागत से 5412 किलोमीटर की सड़कें और 126 पुलों आदि के निर्माण के लिए सड़क कनेक्टिविटी योजना को मंजूरी दे दी है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस परियोजना पर उल्लेखनीय प्रगति की है।

बेहतर वायु मार्ग कनेक्टिविटी के लिए, माओवादी प्रभावित जगदलपुर में हवाई अड्डा जल्द ही शुरू होने वाला है। हाजीपुर-सगौली, गिरिडीह-कोडरमा, देवघर-सुल्तानगंज में रेलवे लाइन पूरा होने के करीब है।

नए और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन मंत्रालय एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों को कम लागत वाली ऊर्जा प्रदान करने के लिए कई सौर पार्क, सौर प्रकाश और सौर पंप योजनाएं चला रही हैं।

एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में कौशल विकास कार्यक्रम और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत एलडब्ल्यूई जिलों में 15 आईटीआई और 43 एसडीसी खोले गए हैं।

शैक्षणिक पहल के तहत, आठ नए केन्द्रीय विद्यालयों और पांच नए जवाहर नवोदय विद्यालयों को अधिकांश एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों, जिनके पास कोई केवी/जेएनवी नहीं था, वहां मंजूरी दे दी गई है।

दूरसंचार विभाग ने एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में संचार व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल टावर्स पर काम किया है। कुल 2329 मोबाइल टावर स्थापित किए गए हैं।

इन विकास संबंधी उपायों के अलावा, एनडीए सरकार ने 35 सबसे एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता को मंजूरी दे दी है। यह योजना 2017-18 से 201 9-20 तक 3 साल तक जारी रहेगी, जिसमें कुल व्यय 3,000 करोड़ रु किया जाएगा। आने वाले वर्षों में, इन जिलों से नक्सल आतंकवाद के उन्मूलन की उम्मीद की जा सकती है।

नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ के 10 जिलों सहित अपेक्षाकृत पिछड़े 115 जिलों के तेजी से परिवर्तन के लिए एक पहल शुरू की है।

हालांकि 'पुलिस और लोक व्यवस्था' राज्य का विषय हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने नक्सल कार्यकर्ताओं को आत्मसमर्पण करने और पुनर्वास के लिए सुरक्षा संबंधित व्यय (एसआरई) योजना लागू की है। आत्मसमर्पण किए नक्सलियों को भी उनकी पसंद के व्यापार/व्यवसाय में प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें मासिक 6000 रुपए तीन साल तक भुगतान जाएगा। इसके अलावा, योजना के तहत हथियार/ गोला बारूद के आत्मसमर्पण के लिए भी प्रोत्साहन दिए जाते हैं।

नक्सली आतंकवाद के खिलाफ प्रभावशाली नतीजे केंद्र सरकार के इस बहुपक्षीय दृष्टिकोण का परिणाम हैं। इस तरह की सफल रणनीति के कार्यान्वयन के लिए सक्षम नेतृत्व और प्रभावी शासन को श्रेय देना चाहिए। पूर्व रोकथाम और प्रगतिशील उपाय हमेशा दिखाई या सुनाई नहीं देते, लेकिन उनके प्रभाव स्थायी होते हैं।

पिछले चार वर्षों में वामपंथी अतिवाद रुकने से आंतरिक सुरक्षा सुदृढ़ और मजबूत हुई है। इन जबरदस्त प्रयासों के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी प्रशंसा की जानी चाहिए।

(लेखक विकास अध्ययन और आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं।)

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TAGS: Naxalism, LWE, NDA govt, Four Years, Security, Development
OUTLOOK 05 June, 2018
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