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04 December 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक पर माकपा ने जताई आपत्ति, कहा- इसके प्रावधान संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ

केंद्रीय कैबिनेट ने आज जिस नागरिकता (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी है, 2016 में सबसे पहले संसद में पेश किए गए इसके ड्राफ्ट पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कड़ी आपत्ति की थी। संसद की संयुक्त चयन समिति के समक्ष माकपा ने कहा था कि इस विधेयक के प्रावधान संविधान के खिलाफ हैं। इसके प्रावधानों से मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।

चयन समिति में विरोध किया

माकपा ने आज एक बयान जारी करके बताया कि 2016 में सबसे पहले पेश किए गए इसके ड्राफ्ट पर विपक्षी दलों ने कड़ा एतराज किया था। विरोध के चलते सरकार को यह ड्राफ्ट संसद के दोनों सदनों की संयुक्त चयन समिति को भेजना पड़ा। माकपा के तत्कालीन लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम ने तीन जनवरी 2019 को विरोध पत्र दिया था। इसमें उन्होंने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए।

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भारत संघ और संविधान का स्वरूप बदल जाएगा

माकपा के अनुसार यह विधेयक भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। संविधान के सिद्धांत, नागरिकता संबंधी प्रावधान (अनुच्छेद 5 से 11) और मूलभूत अधिकार लिंग, जाति, धर्म, वर्ग, समुदाय और भाषा से ऊपर उठकर हर किसी को समानता का अधिकार देते हैं। िवधेयक के प्रावदान न सिर्फ संविधान के मूलभूत सिद्धांतों को ध्वस्त करते हैं बल्किन भारत संघ के स्वरूप को भी मौलिक रूप से बदलते हैं।

विधेयक में गैर मुस्लिमों को विशेष रियायत

गौरतलब है कि केंद्रीय कैबिनेट ने जिस विधेयक को मंजूरी दी है उसमें हिंदुओं के अलावा सिख, इसाई, पारसी समुदायों के लोगों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में आने और नागरिकता लेने की रियायत देते हैं। लेकिन मुस्लिमों को इससे बाहर रखा गया है। इस तरह नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव करने की व्यवस्था है।

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TAGS: citizenship bill, fundamental principle, CPI-M, constitution
OUTLOOK 04 December, 2019
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