साहित्यकारों की नीयत पर महेश शर्मा ने उठाए सवाल
शर्मा ने कहा, विरोध जताने के लिए कुछ साहित्यकारों ने जो तरीका और प्लेटफार्म अपनाया है, उसे वह उचित नहीं मानते। अगर आप उन लोगों के पास जाते हैं, जिन्होंने एेसा किया है और उनकी मंशा व पृष्ठभूमि का पता लगाते हैं तो मेरा मानना है कि कुछ खुलासा करने वाली बात सामने आएगी। मंत्री का बयान कई प्रख्यात लेखकों के देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की पृष्ठभूमि में आया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग सम्मान लौटाने का फैसला कर रहे हैं अगर वो कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं तो उन्हें राज्य या केंद्र सरकार को लिखना चाहिए था।
शर्मा ने कहा, अगर किसी को कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर शिकायत है तो उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री, देश के गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया होता। वह मुझे भी पत्र लिख सकते थे क्योंकि मैं भी मंत्री हूं। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि यह बात रखने का सही तरीका नहीं है। अगर उन्होंने सही तरीके से अपनी बात रखी होती तो हम भी उस आवाज में शामिल होते। उनके मुद्दे का समर्थन करने के लिए हम उनके साथ हैं कि देश में किसी की भी हत्या नहीं की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि दादरी घटना, प्रो. कुलबर्गी की हत्या जैसी घटनाओं और देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ते हमलों के खिलाफ अभी तक कम 21 लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इस फेहरिस्त में उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी, कृष्णा सोबती, नयनतारा सहगल, सारा जोसेफ, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, सुरजीत पातर और वरियाम संधू जैसे साहित्यकार शामिल हैं।