खतरनाक ‘पंछियों’ के उड़ने पर बेबस सरकार
हर अपराधी की तरह वह अपने को निरपराध एवं शांतिदूत बता रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि दाऊद इब्राहिम हो या जाकिर नाइक- खतरनाक पंछी की तरह देश से भाग जाते हैं और सरकारी एजेंसियां हाथ मलती रह जाती हैं। पहले तो उसके इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के नाम पर करोड़ों रुपया इकट्ठा करने की बात सामने आ रही थी। अब तो जाकिर नाइक और उसकी पत्नी फरहत जाकिर नाइक की निजी कंपनियों के तथ्य भी उजागर हो रहे हैं। वह पीस टीवी के साथ साफ्टवेयर प्रोडक्शन हाऊस भी चलाता रहा और धड़ल्ले से सारे धंधे, प्रचार एवं संदिग्ध गतिविधियां करता रहा। तीन दिन पहले वह भारत आकर प्रेस कांफ्रेंस करने की बात कर रहा था। कल उसने अंगूठा दिखा दिया और देश के बाहर से अपनी सफाई देनी शुरू कर दी। धर्म की आड़ हो या धंधे का बहाना, अपराधी धन-बल से परदेस में ठिकाना बना लेते हैं। आखिरकार, विजय माल्या और ललित मोदी अरबों रुपयों का कर्ज, घोटाले एवं सारी राजनीतिक जोड़-तोड़ के बाद विदेश में बैठकर भारत सरकार का मखौल सा उड़ा रहे हैं। आसाराम पर पाखंड-के बल पर अरबों रुपया जमा कर यौन शोषण एवं हत्याओं तक के आरोप लगे। लेकिन बड़े-बड़े नेता और अधिकारी वर्षों तक विजय माल्या, ललित मोदी, आसाराम और जाकिर नाइक के दरबार में सलाम ठोंकते रहे हैं। कभी किसी मंत्रालय और एजेंसी ने कार्रवाई नहीं की। महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस अधिकारी सत्यपाल सिंह भाजपा के सम्मानित सांसद बनने के दो साल बाद दुनिया को बता रहे हैं कि उन्होंने पुणे के पुलिस आयुक्त के नाते जाकिर नाइक की धर्म परिवर्तन गतिविधि पर रिपोर्ट भेजी थी। तब उनकी नहीं सुनी गई। लेकिन दो साल से वह सत्ता में हैँ। जाकिर नाइक पर फंदा क्यों नहीं डलवाया? आखिर नेता-अफसर कितने पंछी उड़ने देंगे?