दिल्ली यूनिवर्सिटी- एडहॉक शिक्षकों के पक्ष में डुटा का प्रदर्शन जारी, वीसी दफ्तर के घेराव के दौरान झड़प
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बातचीत के बावजूद दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और टीचरों का विरोध प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी रहा। उधर, गुरुवार को विरोध-प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई। दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डुटा) ने गेस्ट टीचर्स की स्थायी पदों पर नियुक्ति के संबंध में जारी सर्कुलर को लेकर बुधवार को कुलपति दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, जो गुरुवार को भी जारी रहा। डुटा के प्रेसिडेंट राजीब रे ने कहा, “हम यहां इसलिए हैं, क्योंकि कुलपति के दफ्तर का गेट हमेशा खुला रहता है, लेकिन शिक्षकों के लिए लंबे अरसे से बंद है और हम चाहते हैं कि इसे खोला जाए।”
प्रदर्शन के दौरान हल्की झड़प की भी खबर है। यह उस वक्त हुई, जब प्रदर्शनकारी कुलपति के दफ्तर में घुसना चाहते थे, तो पुलिस और सुरक्षा बलों ने उन्हें पीछे की ओर धकेल दिया। इससे पहले डुटा और दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच मसले का हल निकालने के लिए छह घंटे तक बैठक चली, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। राजीब रे ने कहा, “जब आप समाधान के लिए कुछ लेकर नहीं आते और कहते हैं कि प्रदर्शन खत्म कर दीजिए, तो ऐसी स्थिति में आप मुद्दे के हल की उम्मीद नहीं सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जवाबों का इंतजार कर रहे हैं।
प्रदर्शन की क्या है वजह
दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों का यह विरोध प्रदर्शन यूनिवर्सिटी प्रशासन के उस निर्देश के बाद हो रहा है, जिसमें सभी कॉलेजों को एड-हॉक टीचर्स की नियुक्ति करने पर रोक लगा दी थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल एसोसिएशन (डुपा) ने कॉलेजों को एड-हॉक प्रोफेसरों की जगह ‘गेस्ट टीचर्स’ की नियुक्ति करने का फैसला लिया है, जिसका डुटा विरोध कर रहा है। शिक्षकों ने मांग की है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल एसोसिएशन 28 अगस्त, 2019 के उस सर्कुलर को वापस ले, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में अब रिक्त पदों पर केवल गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जा सकती है।
इससे पहले यूनिवर्सिटी के सैकड़ों शिक्षकों के कई महीने तक की सैलरी नहीं मिलने पर दिन भर चले व्यापक प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारों ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया और डुटा के साथ बातचीत की। डुटा दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों प्रोफेसरों और एड-हॉक शिक्षकों के साथ बकाया भुगतान के साथ-साथ एड-हॉक शिक्षकों की नियुक्ति, समायोजन और पदोन्नति की मांग कर रहा है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और डुटाके साथ प्रदर्शन की अगुआई करने वाले राजेश झा ने कहा, “डुटा अधिकारियों को आज शाम 4 बजे एमएचआरडी में बुलाया गया है, ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके।” एमएचआरडी की ओर से यह कदम बुधवार रात सैकड़ों शिक्षकों द्वारा कुलपति योगेश त्यागी के दफ्तर में तोडफ़ोड़ करने के बाद उठाया गया। इस दौरान नई शिक्षा नीति और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए।
समस्या की जड़ 28 अगस्त की चिट्ठी
इस प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने कुलपति दफ्तर की दीवारों को भित्तिचित्रों से भर दिया। उनके दफ्तर और काउंसिल हॉल के बाहर लोहे के फाटकों को तोड़ दिया। राजेश झा ने कहा, “शिक्षकों ने कुलपति त्यागी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन के "विनाशकारी डिजाइन" का विरोध करने और उन्हें विफल करने का संकल्प लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 28 अगस्त की एक चिट्ठी के जरिए 2007 के विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल के संकल्प में बिना किसी संशोधन के 5,000 शिक्षकों को बदल दिया।
झा ने दावा किया कि इस चिट्ठी की वजह से शिक्षक कई महीनों से वेतन से वंचित थे। झा ने कहा, “शिक्षकों ने बिना वेतन के महीनों तक काम किया है, क्योंकि किसी को भी इस पत्र के आने की उम्मीद थी, जिससे उनकी नौकरी चली जाएगा।” नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट से जुड़े रसल सिंह ने कहा, “शिक्षकों के साथ न्याय होना चाहिए। उनकी मांगें जायज हैं। पिछले एक दशक से कोई भी नियुक्ति और पदोन्नति नहीं हुई है।”
जारी हड़ताल की वजह से परीक्षाएं प्रभावित हो सकती है, क्योंकि डुटा ने शिक्षकों को परीक्षा की जिम्मेदारी से दूर रहने का भी आग्रह किया है। डुटा ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और एचआरडी मंत्रालय को मंगलवार को पत्र लिखकर 28 अगस्त की चिट्ठी से पैदा हुए संकट को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करने को कहा है।