डाॅ. कलाम का सपना 'पूरा', जो रह गया अधूरा
वर्ष 2020 तक विकसित भारत का सपना देखने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कई अनूठे विचार और विजन दिए थे। इन्हीं में से एक है Provision of Urban Amenities to Rural Areas (PURA)। वर्ष 2003 में गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने ग्रामीण इलाकों के कायाकल्प के लिए 'पूरा' का कॉन्सेप्ट दिया था। डॉ. कलाम का सपना था कि ग्रामीण इलाकों में शहरों जैसे बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। जिससे न सिर्फ ग्रामीण आबादी का जीवन स्तर सुधरे बल्कि शहरों की ओर हो रहे अंधाधुंध पलायन पर भी काबू पाया जा सके। इस सोच से प्रभावित अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वर्ष 2004 में पूरा स्कीम का पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके तहत शहरों में मिलने वाली सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली, संचार सुविधा, ज्ञान व राेजगार के अवसर, यातायात संपर्क ग्रामीण स्तर पर भी मुहैया करने का बीड़ा उठाया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रायल की ओर से शुरू की गई इस योजना को एशियाई विकास बैंक का भी सहयोग मिला। योजना के तहत देश में सात पायलट प्रोजेक्ट चलाए गए। बाद में और अन्य कई मंत्रालयों और निजी क्षेत्र को भी इस योजना से जोड़ा गया। लेकिन योजना जमीन स्तर पर बुरी तरह नाकाम रही। यूपीए सरकार के दौरान 2012 में योजना को नए सिरे से लांच किए गया। इस बार ज्ञान और राेजगार के बजाय योजना का फोकस जलापूर्ति, साफ-सफाई और सड़क तक सीमित कर दिया गया। खुद तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा को पूरी तरह नाकाम करार दिया था। केंद्र की पूरा योजना को रिलांच करते हुए उन्होंने कहा था कि इसका डॉ. कलाम के पूरा प्रोजेक्ट से कोई लेना-देना नहीं है।
इस तरह करीब 10 साल तक चली कवायद और करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी डॉ. कलाम का ग्रामीण इलाकों में शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने का सपना सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट बनकर रह गया। आज पूरा देश के पूर्व राष्ट्रपति और युवा भारत की क्षमताओं में भरपूर यकीन रखने डाॅ. कलाम को तहे दिल से श्रद्धांजलि दे रहा है। लेकिन नए भारत के लिए उनके सपनों को साकार करने के मामले में हम पीछे रह गए हैं। उनके विचारों और सोच को अमल में लाए बिना उन्हें दी गई कोई भी श्रद्धांजलि अधूरी ही रहेगी।