कोलकाता हाईकोर्ट ने रद्द किया ममता सरकार का फैसला, मुहर्रम के दिन भी होगा मूर्ति विसर्जन
कोलकाता हाईकोर्ट ने मुहर्रम के बाद दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मामले पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले कहा कि रेगुलेशन (नियम) और प्रोहिबिशन (पाबंदी) में फर्क होता है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है।
Durga Idol Immersion Case: Acting Chief Justice of Calcutta HC tells state govt, 'there is a difference between regulation and prohibition.'
— ANI (@ANI) September 21, 2017
हाईकोर्ट ने कहा कि आप राज्य (सरकार) हैं, सिर्फ इसलिए आप मनमाने आदेश जारी नहीं कर सकते। साथ ही, यह भी कहा, अगर आपको सपना आ गया कि कुछ गलत हो सकता है तो आप बंदिशें नहीं लगा सकते। कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी दिन रात 12 बजे तक प्रतिमा विसर्जन किया जा सकेगा। इसमें मुहर्रम का 1 अक्टूबर का दिन भी शामिल है। इसके लिए कोर्ट ने पुलिस से रूट अरेंजमेंट करने को कहा।
Calcutta HC allows Durga idols' immersion till 12am on all days incl Muharram,asks Police to ensure routes are designated fr immersion&Tazia pic.twitter.com/QzrDvWJOiQ
— ANI (@ANI) September 21, 2017
Durga idol immersion case: Calcutta HC tells WB Govt, 'If you get a dream, that something will go wrong, you cannot impose restrictions.'
— ANI (@ANI) September 21, 2017
Durga Idol Immersion Case: Calcutta HC tells state govt, 'you are exercising extreme power without any basis.'
— ANI (@ANI) September 21, 2017
Durga idol immersion case: Acting Chief Justice of Calcutta HC to state govt,'just because you are the state, can you pass arbitrary order?'
— ANI (@ANI) September 21, 2017
कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार को ममता सरकार के खिलाफ की थी सख्त टिप्पणी
इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को ममता सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से कहा था कि जब आप इस बात का दावा कर रहे हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव है तो फिर आप खुद दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक विभेद पैदा करने की कोशिश क्यों कर रही हैं?
कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा, 'दो समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते? दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर पहले कभी ऐसे हालात नहीं बने। उन्हें सद्भाव के साथ रहने दें। उनके बीच कोई लकीर न खींचें। उन्हें साथ-साथ रहने दें।'
क्या है मामला
बता दें कि इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है। दशहरे के अगले दिन दुर्गा प्रतिमा भी विसर्जित की जाती है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विसर्जन की तारीख बढ़ाने का फैसला किया था, यानी बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन1 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को होगा।
इससे नाराज होकर 14 सितंबर को अधिवक्ता अमरजीत रायचौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने यह तर्क दिया था कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। इस पूजा में सभी विधियां शुभ समय के अनुसार होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश से ऐसा लग रहा है जैसे यहां धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।