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26 September 2018

‘आधार की अनिवार्यता’ को इन सवालों से मिलती रही है चुनौती

आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ फैसला सुनाने जा रहा है। इस केस में सर्वोच्च न्यायालय में 2012 से लंबी सुनवाई का यह दौर चल रहा था। अब वक्त आ गया है जब कोर्ट आधार की वैधता पर अपना रुख स्पष्ट करेगा।

बता दें कि देश में आधार के डेटा की सुरक्षा और निजता को लेकर बहस जारी है। आधार पूरी तरह सुरक्षित है या असुरक्षित, बायोमेट्रिक का इस्तेमाल और आधार के डेटा लीक होने की सूरत में पड़ने वाले प्रभाव और इसके बेजा इस्तेमाल पर बहस केंद्रित है। आधार के पक्षमें खड़े लोग आधार की सुरक्षा को लेकर होने वाले छिटपुट उदाहरणों को खारिज करते हुए इसके दूरगामी लाभ की दलील देते हैं। आइए, इस मामले को समझने के लिए आधार को लेकर उठ रहे सवालों पर नजर डालते हैं।

आधार डेटा सुरक्षित या असुरक्षित

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यूआईडीएआई का दावा है कि यह पूर्णतया सुरक्षित है। 12 डिजिट का आधार नंबर जारी करने वाली संस्था का दावा है कि आपके आधार के बायोमेट्रिक डाटा के लीक होने का अब तक कोई मामला नहीं आया है।

जबकि आलोचकों की दलील है कि डाटा सुरक्षा को लेकर यूआईडीएआई का दावा सीमित दायरे में है। उनका कहना है कि किसी भी तरह के सिस्टम में कोर डेटा सुरक्षित रहता ही है लेकिन जब यह डेटा किसी कार्यक्रम के तहत साझा किया जाता है तो व्यक्ति के पहचान संबंधित जानकारियों का गलत उपयोग हो सकता है। हाल-फिलहाल ऐसे कई दावे भी सोशल मीडिया पर तैरते दिखे। हालांकि यूआईडीएआई ने इन सभी दावों को निराधार बताते हुए अफवाह करार दिया।

आधार नंबर लीक हुआ तो?

आधार एक्ट के मुताबिक, आधार नंबर सार्वजनिक करना गैरकानूनी माना गया है। लेकिन जुलाई 2017 में झारखंड सरकार की समाजिक सुरक्षा वेबसाइट पर राज्य के वृद्धावस्था पेंशन योजना के लाभार्थियों का आधार नंबर, नाम, पता और बैंक अकाउंट नंबर साझा किया गया था। जिसपर विवाद खड़ा हो गया। इस विवाद पर UIDAI का कहना था कि आधार नंबर साझा होने पर व्यक्ति की निजता से कोई समझौता नहीं है।

इस पर आलोचकों की दलील है कि आधार नंबर सार्वजनिक होने की स्थिति में व्यक्ति की पहचान का गलत इस्तेमाल हो सकता है क्योंकि यह नंबर दोबारा बदला नहीं जा सकता। बता दें कि फरवरी में अहमदाबाद में एक मामले में पुलिस ने पाया कि 32 वर्षीय तरुण सुरेजा नाम के व्यक्ति ने एक मृतक के आधार नंबर का गलत इस्तेमाल कर एक फाइनेंस कंपनी को डेढ़ लाख का चूना लगाया था।

आधार पर सेंधमारी की बढ़ती घटनाएं

आधार डाटा लीक या डाटा चोरी की कई घटना घटित होने के दावे किए जाते रहे हैं। फरवरी 2017 में यूआईडीएआई  ने एक्सिस बैंक, सुविधा इंफोसर्व और एक अन्य कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था जब एक व्यक्ति ने कुल जुलाई 2016 से फरवरी 2017 के बीच बायोमेट्रिक के माध्यम से 397 अनअधिकृत लेन-देन की।

इसी प्रकार जनवरी में अंग्रेजी अखबार ट्रिब्यून के खुलासे में दावा किया गया था कि करोड़ों लोगों के आधार नंबर मात्रा 500 रुपये में मौजूद सॉफ्टवेयर के जरिए हासिल किया जा सकता है। हालांकि इन मामलो में यूआईडीएआई  का कहाना है कि आधार संबंधी जानकारियां एंड-टू-एंड इनक्रिप्टेड होने के साथ 24x7 सिक्योरिटी और फ्रॉड मैनेजमेंट सिस्टम की निगरानी में रहती हैं।

बायोमेट्रिक्स की जरूरत

बायोमेट्रिक्स प्रणाली को लेकर आलोचकों की राय है कि ऐसी तकनीकी मौजूद है जिसमें किसी वस्तु से व्यक्ति के फिंगरप्रिंट और सोशल मीडिया पर साझा किए गए फोटो के माध्यम से धोखाधड़ी कर सकते हैं।

जबकि यूआईडीएआई  की दलील है कि बायोमेट्रिक्स, पासवर्ड जैसी प्रणाली से ज्यादा सेफ है। यूआईडीएआई ऐसा नहीं मानती कि बायोमेट्रिक प्रमाणिकता कोई पेरशानी है।

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TAGS: 'Essentiality of aadhar', challenging, questions
OUTLOOK 26 September, 2018
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