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25 December 2020

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी, सरकार ने फिर लिखी चिट्ठी

केंद्र द्वारा लाए गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 30वें दिन भी किसान दिल्ली की सभी सीमाओं पर डटे हैं। इस बीच कल केंद्र सरकार की ओर से किसानों को फिर से चिट्ठी लिखकर बातचीत की टेबल पर लौटने की अपील की गई। सरकार की चिट्ठी में कहा गया है कि वो सभी मुद्दों पर खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है, साथ ही एमएसपी के बारे में लिखित आश्वासन देने के लिए भी तैयार है। बुधवार को किसानों ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन की बात भी उठाई थी। इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि नई मांग रखना तर्कसंगत नहीं है फिर भी इस पर चर्चा की जा सकती है।


सरकार ने कहा है कि वो सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है। वहीं, सरकार ने ये भी कहा है कि तीनों कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं है। सरकार पहले ही इसे लेकर वर्तमान व्यवस्था चालू रहने के लिए लिखित आश्वासन देने को तैयार हो चुकी है, ऐसे में कानून से बाहर जाकर इसकी कोई मांग तर्कसंगत नहीं है। इसके अलावा केंद् ने कहा है कि आवश्यक वस्तु एक्ट में संशोधन पर बात संभव है। वहीं, विद्युत अधिनियम और पराली पर अभी सिर्फ प्रस्ताव ही लाया गया है। मोदी सरकार ने गुरुवार को किसानों से वार्ता की तारीख और समय पूछा है।

किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में केंद्र ने कहा है कि आंदोलनकारी किसान सगंठनों द्वारा उठाए गए सबी मुद्दों पर तर्कपूर्ण बातचीत करने को हम तैयार हैं। आगे केंद्र ने स्पष्ट लहजे में कहा है कि कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों का एमएसपी की खरीद से कोई संबंध नहीं है और ना हीं इन तीनों कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी की व्यवस्था पर कोई प्रभाव है। इस संबंध में कोई नई मांग रखना, जो नए कृषि कानूनों से इतर है, उसका वार्ता में सम्मिलित किया जाना तर्कसंगत नहीं लगता है।

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साथ हीं केंद्र ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत करती रही है और आगे भी तैयार है। इसलिए अपनी सुविधा के मुताबिक समय और तारीख निर्धारित करें। जिन मुद्दों पर बातचीत करना चाहते हैं उनका विवरण दें।

बुधवार को 40 किसान संगठनों ने केंद्र द्वारा बातचीत को लेकर भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। वहीं, बैठक को लेकर जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन युधवीर सिंह ने कहा था, "जिस तरह से केंद्र बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। इससे ये स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और किसानों के प्रदर्शन करने के मनोबल को तोड़ना चाहती है। सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उन्हें इस मामले पर संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं और जल्द ही इसका हल ढूंढूंगा।"



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TAGS: कृषि कानून, किसान, मोदी सरकार, Farmers protest, farm laws, modi government
OUTLOOK 25 December, 2020
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