किसानों ने जंतर मंतर पर लगाई किसान मुक्ति संसद
मालूम हो कि किसान मुक्ति यात्रा अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के नेतृत्व में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद छह जलुाई को मंदसौर से चली थी। पहले ही दिन देशभर के सौ से ज्यादा किसान संगठन किसानों का कर्ज माफ करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर उपज का मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर मंदसौर पहुंचे थे।
विपक्ष निकालेगा रैली
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जिस देश का अऩ्नदाता सुखी न हो उस देश का भविष्य अंधेरे में ही है। उन्होंने किसानों को कहा कि वह उनकी मांग संसद में जोरदार ढंग से उठाएंगे लेकिन सत्तारूढ़ दल ही जानबूझकर संसद नहीं चलने दे रहा है। जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि सरकार ने बड़े-ब़ड़े वादे किए। करोड़ों लोगों को रोजगार देने की बात की लेकिन आज तक किसी को रोजगार नहीं मिला। किसानों की जिंदगी बेहतर होगी तभी देश ताकतवर बनेगा लेकिन आज देश का किसान तकलीफ में है। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों के समर्थन में पूरा विपक्ष एक है और बुधवार को संसद में उनकी मांगें उठाएगा। यह सिर्फ किसानों की लड़ाई नहीं है, यह पूरे देश की लड़ाई है। जब आप संसद के बाहर लड़ रहे हैं तो संसद में भी किसानों की मांग का समर्थन करूंगा तथा पूरे विपक्ष की ओर से किसानों की लड़ाई के समर्थन में रैली का आयोजन करेंगे।
लेना होगा अधिकार
समिति के संयोजक वीएम सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार किसानों का हक देने वाली नहीं है, हमें अपना हक छीनकर लेना होगा। डा. सुनीलम ने मांग की कि किसानों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो और कर्जमुक्ति और पूरे दाम की मांग को सरकार जल्दी पूरा करे। योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों का दो तिहाई काम करने वाली महिलाओं ने इस किसान मुक्ति संसद को एतिहासिक बना दिया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार बड़े पूजीपतियों और कंपनियों को लाभ पहुंचने के लिए किसानों को कुचलने पर उतारू है।
सांसद व स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता राजू शेट्टी, हन्नान मौल्ला, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, रामपाल जाट, तमिलनाडु के अय्याकन्नू, आप के डा धर्मवीर, शिवसेना के अरविंद सावंत, कांग्रेस के बीआर पाटिल, जदयू के शैलेंद्र कुमार, सीपीएम के तपन कुमार, जदयू के अली अनवर,सीपीएम के मोहम्मद सलीम. मोहम्मद मदरूद्दुजा, शंकर दत्ता आदि सांसदों ने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए संसद में अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर उन किसानों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जिनके पिता ने आत्महत्या कर ली है। उन्होंने अपनी दुर्दशा का प्रदर्शन किया। इनमें से एक बच्चे अशोक पाटिल ने कहा कि मुझे दुख है कि मेरे पिता ने आत्महत्या कर ली लेकिन मैं देश के सभी किसानों को बताना चाहूंगा कि आत्महत्या के विकल्प को छोड़कर हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।