भारत बंद के दौरान क्या-क्या हुआ, जानिए पांच अहम बातें
अनुसूचित जाति/ जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान जमकर हिंसा हुई। इस दौरान कम से कम 10 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल हुए। एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से किए गए बदलाव को लेकर जहां दलित संगठनों में रोष है वहीं सियासी पार्टियों में भी घमासान मचा हुआ है। जानिए, इस मसले पर सोमवार से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ-
10 लोगों की मौत, कई घायल
भारत बंद के इस आयोजन के दौरान पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, गुजरात, ओड़िशा समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आगजनी, तोड़फोड़, झड़पें हुईं। इस दौरान 10 लोगों की मौत हो गई है।
मध्य प्रदेश में 7 लोगों के मारे जाने की खबर है। ग्वालियर में तीन और भिंड में एक व्यक्ति की मौत हुई। मध्यप्रदेश के आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया कि मुरैना में एक व्यक्ति की मौत किसी अन्य कारण से हुई। उत्तर प्रदेश में दो व्यक्ति की मौत हुई है और तीन गंभीर रूप से घायल हैं। यूपी के डीआईजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया कि कई लोग सोशल मीडिया पर अफवाह फैला रहे हैं। हमने 448 लोगों को गिरफ्तार किया है। 90 फीसदी इलाकों में शांति है। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
वहीं, राजस्थान में भी एक व्यक्ति की मौत की खबर है। राजस्थान के डीजीपी ने बताया कि इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई हैं और कई जिलों में धारा-144 लागू है। इस दौरान भारी मात्रा में संपत्तियों का नुकसान हुआ है।
एक पुलिसवाले के खिलाफ एफआईआर
मध्य प्रदेश में प्रदर्शनकार्यों पर गोली चलाने वाले एक पुलिसवाले पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
Case has been registered against police personnel who fired shot at a protester yesterday. The protester later passed away: Makrand Deuskar, IG Law & Order #MadhyaPradesh
— ANI (@ANI) April 3, 2018
SC/ST एक्ट पर केंद्र की पुनर्विचार याचिका मंजूर, खुली अदालत में होगी सुनवाई
हिंसक प्रदर्शन के बीच केन्द्र सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पहले कोर्ट ने इस मामले पर त्वरित सुनवाई से इनकार कर दिया था लेकिन अब इस सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक इसकी सुनवाई खुली अदालत में होगी। मुख्य न्यायाधीश ने इसके लिए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई में पीठ का गठन किया है।
सरकार ने रखा अपना पक्ष
भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आरक्षण पर फैलाई जा रही अफवाह बेबुनियाद है।
राजनाथ सिंह ने कहा, 'सरकार एससी-एसटी एक्ट को कमजोर नहीं करना चाहती, बल्कि हमारी सरकार के गठन के बाद इस कानून के प्रावधानों को और मजबूती देने का काम किया गया है। देशवासियों से मेरी अपील है कि वह शांति और संयम बनाए रखें। सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर भी कर दी है। अब सरकार की तत्परता पर संदेह जताने की गुंजाइश नहीं बचती है।'
राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान में एससी-एसटी समुदाय को जो संरक्षण दिया गया है, सरकार उसके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। 2015 में हमारी सरकार ने एक्ट में नए प्रावधानों को जोड़ा गया ताकि इस कानून को और मजबूत किया जा सके। सरकार एससी-एसटी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष ने क्या कहा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ''दलितों का शोषण करना और उन्हें समाज में निचले पायदान पर रखना भाजपा/संघ के डीएनए में है। जो इस सोच को चुनौती देता है, उसे वो हिंसा से दबाते हैं। हजारों दलित भाई-बहन मोदी सरकार से अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं, उन्हें सलाम।''
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, इस आंदोलन को मेरा समर्थन है लेकिन मैं हिंसा की निंदा करती हूं। उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'केन्द्र सरकार को समय रहते दलित समाज के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने दलितों से बात करना जरूरी नहीं समझा। दलितों का सरकार पर भरोसा नहीं है।'