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21 June 2016

जीएम सरसो पर विरोधी स्वर बढ़े, केंद्र पर निशाना

गुगल

जीएम सरसो को लेकर विवाद और बढ़ता जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया लेकिन भीतर से एक लॉबी इसके पक्ष में माहौल बनाने का काम कर रही है। केंद्र सरकार के रवैये को लेकर जीएम मुक्त भारत गठबंधन से लेकर वैज्ञानकों का एक खेमा केंद्र सरकार द्वारा इस मसले पर दिखाई जा रही हड़बड़ी से चिंतित है। जीएम मुक्त भारत गठबंधन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर जीएम सरसो पर विरोधी स्वरों को जगह न दिए जाने पर गंभीर आरोप लगाया है, वहीं कृषि तथा जीएम वैज्ञानिकों ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है।

इस बारे में आउटलुक ने बात की वैज्ञानक दिनेश एब्रॉल से जो एक समय दिल्ली के जीएम सरसो शोध का हिस्सा थे। दिनेश का कहना है कि कृषि के क्षेत्र में प्राथमिकताएं तय करनी जरूरी हैं। जीएम सरसो किसी भी लिहाज से किसानों के लिए फायदेमंद नहीं है। न ही इसकी वजह से केमिकल का प्रयोग कम होता है और न ही किसानों की लागत कम होती है। दिनेश ने बताया कि जीएम सरसो हाइब्रिड में इस्तेमाल होने वाली है, लिहाजा किसानों को हर दो-तीन सालों में इसके नए बीज खरीदने पड़ेंगे। साथ ही इसमें केमिकल के इस्तेमाल से भी छूट नहीं मिलेगी।

उधर जीएम मुक्त भारत की कविता कुरुंथी ने बताया कि जीएम सरसो की इस नई किस्म पर चर्चा के लिए बुलाई गई जीईएसी की बैठक में जिस तरह से इस मुद्दे पर काम कर रहे वैज्ञानिकों और आंदोलनकर्ताओं को अपने बिंदू रखने का मौका नहीं दिया गया, वह खतरनाक संकेत है।  

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TAGS: gm mustuard, dinesh abrol, kavitha kurughanti, prakash javedkar, नुकसान
OUTLOOK 21 June, 2016
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