मोनसेंटो की धमकी पर सरकार को नहीं झुकने की सलाह
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मोनसेंटो ने भारत को धमकी दी है कि अगर सरकार ने उनकी रॉयल्टी में कटौती की तो वे जीएम कपास के बीजों के अपने कारोबार को भारत से पीछे खींच लेगी। इसे लेकर कृषि और बीज की दुनिया में बहुत हंगामा मचा हुआ है। अभी भारत में कपास के बीजों पर सौ फीसदी मोनसेंटो का कब्जा है। अगर मोनसेंटो अपने कारोबार को समेटती है तो इसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों किस्म का प्रभाव पड़ेगा।
दरअसल, देसी बीज उत्पादक कंपनियां मोनसेंटो से बेहद पीड़ित हैं क्योंकि उन्होंने सबसे पहले जीएम टेकनोलॉजी को लेने के लिए मोनसेंटो को 50 लाख रुपये की एक मुश्त राशि देनी पड़ती है और फिर हर पैकट पर अलग से रॉयल्टी का भी भुगतान करना पड़ता है। इसके खिलाफ उन्होंने अदालत औऱ फिर केंद्र सरकार के पास गुहार लगाई थी। केंद्र सरकार ने पिछले साल स्पष्ट कर दिया कि केंद्र कीमतों को तय करेगा। राज्यों को यह अधिकार नहीं होगा। केंद्र सरकार ने कीमत और रॉयल्टी के लिए एक समिति बनाई। समिति ने सिफारिश दी कि मोनसेंटो को प्रति बीज के पैकेट पर 49 रुपये रॉयल्टी मिलनी चाहिए। इस सिफारिश पर मोनसेंटो कंपनी बिदक गई और उसने भारत से अपना कारोबार समेटने तक की धमकी दे डाली।
इस मसले पर केरल कृषि विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन इनवायरमेंटल इकॉनॉनिक्स की निदेशक डॉ. पी इंदिरा देवी ने बताया कि भारत सहित दुनिया भर में मोनसेंटो की भूमिका अच्छी नहीं रही है। यह कंपनी किसानों को तबाह कर चुकी है और अब भी उनसे बेहिसाब मुनाफा कमाना चाहती है। अब जब उनका फायदा कम हो रहा है तो वो इस तरह की धमकियां दे रही है। आज जरूरत इस बात की है कि वैकल्पिक कृषि के मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए।
कृषि मामलों की विशेषज्ञ और जीएम फसलों के खिलाफ काम कर रही कविता कुरुंथी ने बताया कि मोनसेंटो अपने पक्ष में फैसला करवाने के लिए ये सब हथकंडे अपना रही है। मोनसेंटो को अगर जाना है तो उसे जाने देना चाहिए, इससे देश के किसानों का फायदा ही होगा।
हैदराबाद में वैकल्पिक कृषि तौर-तरीकों पर सघन काम कर रहे रामनजनेयूलू ने बताया कि मोनसेंटो भारतीय किसानों और देसी बीज कंपनियों को लूटने का अधिकार नहीं छोड़ना चाहती। इसीलिए ये सब कर रही है।